भोपाल। प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में पिछले दो दशकों से अध्यापन कार्य कर रहे अतिथि विद्वानों की नियमितीकरण संबंधी समस्त मांगे जायज़ हैं। मैंने पूरे मामले का गहन अध्ययन किया है एवं इस निष्कर्ष पर पहुचां हूँ कि सरकार को अविलंब इन मांगों को पूरा करना चाहिए। सरकार को अपने वचनपत्र का अक्षरशः पालन करना चाहिये एवं वादाखिलाफी करके जनता जनार्दन का गुस्सा मोल नही लेना चाहिए। उक्त उद्गार प्रसिद्ध समाजवादी चिंतक और विचारक तथा लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघु ठाकुर ने भोपाल स्थित शाहजहानी पार्क में चल रहे अतिथिविद्वानों के आंदोलन में पहुँचकर कही।
उल्लेखनीय है कि अल्प प्रवास पर भोपाल पहुचे श्री रघु ठाकुर ने अतिथिविद्वानों के इस आंदोलन को अपना खुला समर्थन देने की घोषणा भी की। अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजकद्वय डॉ देवराज सिंह एवं डॉ सुरजीत भदौरिया में अनुसार पूरे प्रदेश भर से आये अतिथिविद्वान लगातार शाहजाहानी पार्क में मोर्चे पर डटे हुए हैं। हमने घोषणा की थी कि यह अतिथिविद्वानों की अंतिम लड़ाई है। इसे अंतिम संघर्ष मानकर ही हमने अब तक इस आंदोलन को शान्तिपूर्वक चलाया है। इंतज़ार केवल सरकार की ओर से उठाये जाने वाले एक सकारात्मक कदम का है।
सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में सामने आया एक और फर्जीवाड़ा
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रांतीय प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने खुलासा करते हुए बताया है कि हमने लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में कथित रूप से हुई धांधली और भ्रस्टाचार का मुद्दा हमेशा उठाया है किन्तु सरकार ने परीक्षा के किसी भी चरण पर इसका ध्यान नही दिया है। हालिया मामला उमरिया जिले से संबंधित है जहां आदर्श महाविद्यालय उमरिया में समाजशास्त्र विषय मे नियुक्तिपत्र लेकर पहुची एक पिछड़ा वर्ग की महिला उम्मीदवार ने छत्तीसगढ़ का जाति प्रमाण पत्र वैरिफाई करवाने का प्रयास किया। आदर्श महाविद्यालय उमरिया में घटित इस घटना के बाद मामला कालेज प्रबंधन की पकड़ में आया एवं महिला को पुनः जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि परीक्षा के समस्त चरणों मे उक्त महिला द्वारा सतना जिले का जाति प्रमाण पत्र लगाया था। जो कि उसके पति के नाम से था। विदित हो कि सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशानुसार पति के नाम वाला जाति प्रमाण पत्र अमान्य एवं अवैध माना गया है। जाति प्रमाण पत्र केवल पिता के नाम से ही मान्य है। डॉ मंसूर अली ने आगे कहा कि यह अत्यंत गंभीर मामला है एवं जांच का विषय है कि उक्त महिला गलत दस्तावेजों को भोपाल से किस प्रकार से वेरीफाई करवाकर कॉलेज जॉइन करने पहुँच गई। यदि उमरिया आदर्श महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा ध्यान नही दिया जाता तो उक्त महिला कूटरचित एवं जाली दस्तावेजों के आधार पर सहायक प्राध्यापक की नौकरी पाने में कामयाब हो जाती। इस पूरे मामले की जांच आवश्यक है।
भोपाल स्थित जिन अधिकारियों ने उक्त महिला के दस्तावेजों को गैरज़िम्मेदाराना तरीके से वेरीफाई किया उनकी जवाबदेही भी तय होनी चाहिए। डॉ मंसूर अली ने इस मामले की उच्च स्तरीय शिकायत एवं जांच करवाने की बात भी कही है। उनका कहना है कि यदि गंभीरता से जांच की मांग सरकार मान लेती तो अब तक इस तरह के न जाने कितने मामले पकड़े जा चुके होते। और कई योग्य और मेरिट लिस्ट में स्थान पाने से चूके उम्मीदवार चयनित हो गये होते।
आंदोलन का आज 16वां दिन, सरकार की ओर से कोई रिस्पांस नही
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार भोपाल स्थित शाहजाहानी पार्क में अतिथिविद्वानो के आंदोलन का आज 16 वां दिन है किंतु आज दिनांक तक सरकार का कोई भी प्रतिनिधि हमारी मांगों पर विचार करने हेतु नही पहुचा है। यह अन्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। अतिथिविद्वानों के आंदोलन और उनके हड़ताल पर चले जाने से जहां एक ओर पूरे प्रदेश के कॉलेजों का पठन पाठन चरमरा गया है। पढ़ाई व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो चुकी है, किंतु सरकार है कि अपना रवैय्या छोड़ना नही चाहती है।
हमारे आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे इस कड़ाके की ठंड में खुले पंडालों में कई हफ्तों से ठिठुरते हुए दिन रात गुज़ार रहे है। किंतु सरकार इतनी निष्ठर हो चुकी है कि उसे महिलाओं और बच्चों का भी कोई ख्याल नही है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले हमारे मुख्यमंत्रीजी किस दिल से यह सब बर्दाश्त कर रहै है जहां प्रदेश की उच्च शिक्षित बेटियां अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़को पर आ गयी है। हमारी सरकार से करबद्ध प्रार्थना है कि हम सरकार से कोई नई चीज नही मांग रहे। हम कांग्रेस सरकार से केवल उस नियमितीकरण की मांग कर रहे है, जिसका वादा स्वयं उन्होंने अपने वचनपत्र में किया था।