भारत में पानीपुरी/गोलगप्पे किसे पसंद नहीं है। गोलगप्पे में सबसे बड़ा आकर्षण होता है उसका पानी। आजकल कई रेस्टोरेंट्स में पारदर्शी बर्तन में गोलगप्पे का पानी ही रखा जाता है ताकि आप उसे देख सके। यह पानी आकर्षक हरे रंग में होता है। पानीपुरी को मुंह में रखते ही चटपटा स्वाद आता है। यह चटखारा ही लोगों को बार-बार गोलगप्पे खाने के लिए प्रेरित करता है। चार्ट में चटखारा ना हो तो फिर आनंद ही क्या लेकिन क्या आप जानते हैं आपकी इस हसरत को पूरा करने के लिए सभी नहीं लेकिन बहुत सारे रेस्टोरेंट गोलगप्पे के पानी में एसिड मिलाते हैं।
पानीपुरी के पानी में एसिड क्यों मिलाते हैं दुकानदार
जी हां; गोलगप्पे के पानी में तेजाब मिलाया जा रहा है, ताकि दुकानदार आपको सस्ते में जायकेदार और चटपटा गोलप्पा खिलाकर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सके। गोलगप्पे बेचने वाले इसमें ईमली, पुदीना, टाट्री, फिटकिरी और फिर उसमें तेजाब मिलाते हैं। मिलावट का पता लगाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि ज्यादातर गोलगप्पे बेचने वाले पानी में एसिड मिलाते हैं क्योंकि तेजाब से इसके तीखेपन में और वृद्धि होती है और ग्राहक खूब चठखारे लगाकर गोलगप्पे खाते हैं। जो दुकानदार पानी में एसिड की मिलावट नहीं करता उसकी बिक्री कम होती है।
गोलगप्पे में हरे पुदीने का पानी नहीं, तेजाब है यह
कुछ गोलगप्पे बेचने वालों ने बताया कि, लाल पानी में तो वे ईमली का प्रयोग करते हैं, लेकिन हरे पानी में तेजाब डालते हैं। सल्फ्यूरिक अम्ल लाल पानी को भी नीला बना देता है इसलिए इसमें पुदीना और अन्य मसाले डालकर इसके रंग और गाढ़ा हरा कर दिया जाता है। कई बार रंग निखारने के लिए हरा रंग भी मिलाया जाता है।
गोलगप्पे में एसिड वाला पानी पीने से क्या होता है
गोलगप्पे बेचने वालों ने बताया कि, इमली और अन्य मसाले उन्हें महंगे पड़ते हैं। जबकि इनके अनुपात में तेजाब, टॉट्री और फिटकिरी काफी सस्ता पड़ता है और इससे गोलगप्पे का पानी तीखा-चटपटा और गले में हल्का जलन महसूस करा जाता है। जिससे गोलगप्पे खाने वाले और मजा लेकर इसे खाते हैं।
गोलगप्पे के पानी में एसिड से क्या नुकसान होता है
गोलगप्पे या पानी पुरी के पानी में या किसी भी तरह से यदि मनुष्य के शरीर में एसिड जाता है तो वह मनुष्य के शरीर में मौजूद सेल्स को डैमेज करता है। गोलगप्पे के पानी में कम मात्रा में एसिड होता है। इसके लगातार सेवन से व्यक्ति के सीने में दर्द या जलन होने लगती है। वह फूड प्वाइजनिंग का शिकार होने लगता है। धीरे-धीरे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और फिर वो किसी भी सामान्य सी बीमारी के कारण गंभीर रूप से बीमार होता है। यह उसकी मृत्यु का कारण भी हो सकता है।
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