जबलपुर। जबलपुर से गुजरने वाले एनएच 30 व एनएच 12 को जोडऩे वाले मार्ग पर नागाघाटी के पास से यदि आप गुजरें तो संभल कर। यहां पर कभी भी पत्थरों की बरसात होने लगती है और चट्टानों से पानी का रिसाव होता है। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण के अफसर अब तक जबलपुर के पास नागाघाटी की पहाड़ी से पत्थर गिरने की स्थिति को नियंत्रित नहीं कर सके।
अब जमीन का विवाद नागाघाटी से पत्थर गिरने से रोकने के लिए पहले एनएचएआई ने यहां पर जाली लगाई थी। बरसात में जब पत्थर ज्यादा संख्या में गिरते हैं तो आवागमन बंद भी कर दिया गया था। वैकल्पिक मार्ग से आवागमन जारी था पर अब तक इसका कोई नियंत्रण नहीं हो सका। शहर से 20 किमी दूर नागाघाटी में वर्ष 2016 में हाइवे बनाया गया। MPRDC ने निर्माण किया है। शुरुआती दौर में पहाड़ी क्षेत्र में भी वन विभाग से उतनी ही भूमि प्राप्त की थी, जितनी चौड़ाई सामान्य क्षेत्रों में थी। बाद में अतिरिक्त भूमि प्राप्त नहीं होने पर पहाडि़यों को सीधा काटकर हाइवे बना दिया गया। पहाड़ी को ढलान नुमा काटने की बजाए महाराष्ट के इंगतपुरी रेल लाइन के किनारे पहाडि़योंं को लोहे की जाली से बांधने का तरीका अपनाया लेकिन बारिश में दबाव पड़ा तो जालियां टूट गई।
एमपीआरडीसी ने वन विभाग को पत्र भेजकर दावा किया है कि आवंटित भूमि से कम क्षेत्र में उन्होंने सड़क बनाई है। उनकी भूमि .9 हेक्टेयर कम है। जबकि, वन विभाग का तर्क है कि ऊंचाई पर पहाड़ी जहां से टूटी है, वहां की दूरी का सीमांकन होगा। हालांकि दोनों विभागों के बीच संयुक्त सर्वे की सहमति बनी है। हर वर्ष बारिश में नागाघाटी में रूट डायवर्ट किया, लेकिन इस बार बारिश के बाद भी पहाड़ी धसक रही है। हाइवे पर दुर्घटना की आशंका है।
एनएचएआई ने वन विभाग से जमीन लेकर हाईवे निर्माण किया था। वन विभाग और मप्र सड़क विकास निगम के बीच नेशनल हाइवे 12-A जबलपुर-रायपुर के निर्माण में भूमि के आवंटन के पेंच के कारण हजारों लोग परेशानी झेल रहे हैं, खतरे के बीच गुजर रहे हैं। 60-70 फुट ऊंची पहाडि़यों को सीधा काटकर सड़क बनाने के बाद हाइवे पर बड़े-बड़े पत्थर गिर रहे हैं। अतिरिक्त भूमि प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही दोनों विभागों के बीच भूमि विवाद का नया मामला सामने आया है। इस कारण नागाघाटी पहाड़ी की समस्या और उलझती हुई दिख रही है।