भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कम उपस्थिति के चलते छात्रों को बिना नोटिस के ही निकाल दिया था। इनमें धरना देने वाली दो छात्राएं भी शामिल थीं। इस बड़ी चूक की वजह से ही विश्वविद्यालय प्रशासन को दबाव में आना पड़ा और दोनों छात्राओं को परीक्षा देने की अनुमति दी गई। इस बात पर ही सांसद साध्वी प्रज्ञा ने श्रीकांत सिंह के सामने अपनी नाराजगी जाहिर की थी। अब इतनी बड़ी चूक नजर आने के बाद प्रशासन स्पष्ट तौर पर कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है।
वहीं, दूसरी ओर इस मामले में जवाब तलब होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने दूसरे दिन ही अपनी रिपोर्ट बनाकर राजभवन भेज दी है। दरअसल, इस साल करीब 80 छात्रों को पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने कम उपस्थिति होने की वजह से निकाल दिया था। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इतनी बड़ी कार्रवाई करने के पहले विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को सूचना देना तक जरूरी नहीं समझा। जबकि, अब तक छात्रों को कम उपस्थिति होने पर एक नोटिस दिया जाता था। इसके बाद फिर दोबारा नोटिस देकर परीक्षा देने से वंचित करने की चेतावनी दी जाती थी।
इसके बाद फिर नोटिस देकर एडमिशन निरस्त करने की चेतावनी दी जाती थी। यदि तीन नोटिस मिलने के बाद भी छात्र नहीं मानते थे, तब जाकर उन्हें परीक्षा से वंचित किया जाता था। या फिर उसका एडमिशन निरस्त कर दिया जाता था। लेकिन इस बार कम उपस्थिति होने पर छात्रों का एडमिशन निरस्त कर विश्वविद्यालय के नोटिस बोर्ड पर लगा दिया। इससे छात्रों को पता हीं नहीं चल सका कि उनका एडमिशन निरस्त कर दिया।
पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने पिछले साल फैकल्टी से लेकर छात्रों की उपस्थिति के लिए एप तैयार कराया गया था। लेकिन पिछले एक साल से इसकी टेस्टिंग ही चल रही है। यदि इससे उपस्थिति दर्ज होना शुरू हो जाए तो छात्रों से लेकर उनके अभिभावकों तक उपस्थिति के बारे में सूचना मिलना शुरू हो जाएगी। सूत्रों के मुताबिक एप से उपस्थिति होने से समय की पाबंदी अनिवार्य हो जाएगी इसलिए कुछ अधिकारी इसके पक्ष में नहीं हैं।
राजभवन को जवाब भेजकर वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया गया है। वहीं, एप की टेस्टिंग चल रही है इसलिए इससे उपस्थिति दर्ज नहीं की जा रही है।
-दीपेन्द्र बघेल, रजिस्ट्रार पत्रकारिता विश्वविद्यालय