मध्यप्रदेश का राजस्व विभाग भ्रष्टाचार में नंबर वन: लोकायुक्त रिपोर्ट | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। 9 दिसंबर यानी एंटी करप्शन डे के अवसर पर लोकायुक्त की एक रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश का राजस्व विभाग भ्रष्टाचार में नंबर वन पर है। दूसरे नंबर पर पंचायत एवं सहकारिता विभाग और तीसरे नंबर पर पुलिस विभाग दर्ज हुआ है। राजस्व विभाग यानी वह विभाग जिसमें पटवारी से लेकर कलेक्टर तक सब आते हैं। या विभाग सरकारी खजाने के लिए धन एकत्रित करता है और जमीनों के मामले देखता है। सबसे ज्यादा रिश्वत किसानों से ली गई है।

लोकायुक्त में दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों पर आधारित रिपोर्ट है

मध्य प्रदेश के सरकारी विभागों में होने वाले करप्शन पर नजर रखने वाली लोकायुक्त एजेंसी की ताजा रिपोर्ट (Lokayukt Report) के अनुसार इस साल एक जनवरी से पांच दिसंबर तक 294 FIR दर्ज हुई है। इन्हीं FIR के आधार लोकायुक्त ने अधिकारियों और कर्मचारियों को रंगे हाथों गिरफ्तार भी किया है। सामने आई रिपोर्ट इन्हीं आंकड़ों पर आधारित है।

यह सिर्फ FIR के आंकड़े है, शिकायतों की गिनती नहीं

सरकार का राजस्व विभाग सबसे महत्वपूर्ण विभाग है, जिसमें जमीन से जुड़े कामकाज शामिल हैं, लेकिन इसी विभाग में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार होता है। लोकायुक्त ने जितनी भी एफआईआर दर्ज की, उसमें सबसे ज्यादा मामले राजस्व विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के हैं। ये एफआईआर के आंकड़े हैं। यदि शिकायतों की बात करें, तो सबसे ज्यादा इसी विभाग की शिकायतें भी लोकायुक्त में पहुंचती हैं। आपको याद होगा कि उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने सितंबर में कहा था कि 'कलेक्टर साहब आपके 100 फीसदी पटवारी रिश्वत लेते हैं, इन पर आप लगाम कसिए। मंत्री के इस बयान के बाद पटवारियों ने जबर्दस्त धरना-प्रदर्शन किया था और मंत्री को माफी मांगनी पड़ी थी।

रिपोर्ट की प्रमुख बातें

- सबसे ज्यादा एफआईआर राजस्व विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज हुई हैं।
- हर महीने 25 भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
- एफआईआर के अलावा भी राजस्व विभाग के खिलाफ सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार की शिकायत लोकायुक्त के पास पहुंचती है।
- लोकायुक्त पुलिस शिकायतों की जांच के बाद भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों को ट्रैप करते हैं।

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