भोपाल। खबर मंडलेश्वर की जेल से आ रही है। यहां पिछले 7 दिन से डूब प्रभावित ग्रामीण बंद थे। रिहा होने के बाद उन्होंने बताया कि उनके साथ अपराधियों की तरह व्यवहार किया गया। चांटे मारे, मुर्गा बनाया, अपराधियों की तरह जूतों से पीटा। जब इस व्यवहार के खिलाफ भूख हड़ताल की थी तब कहीं जाकर वो रुके। बता दें कि कलेक्टर के आदेश पर 179 प्रदर्शनकारियों को धारा 144 के उल्लंघन के आरोप में 7 दिन पहले जेल में लाया गया था।
मुआवजा मांगने कलेक्टर कार्यालय आए थे, कलेक्टर ने जेल भेज दिया
बांध प्रभावित 16 दिसंबर को अपने गांवों से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर जिला मुख्यालय पहुंचे थे। आंदोलन के दूसरे दिन 17 दिसंबर की शाम मांगों की अनदेखी पर प्रभावित कलेक्टोरेट में घुस गए थे। अगले दिन कलेक्टर ने पूरे जिले में धारा 144 लागू कर दी। इसके बाद 18 दिसंबर को आंदोलन करने पर प्रभावितों को जेल भेज दिया। उनके समर्थन में पहुंचे 30 अन्य बांध प्रभावितों को दूसरे दिन मंडलेश्वर जेल भेजा गया।
मुर्गा बनाकर पीटा, भूख हड़ताल पर छोड़ा
प्रभावितों ने आरोप लगाया कि पुलिस व प्रशासन ने बुरा व्यवहार किया। 19 दिसंबर को टीआईटी काॅम्प्लेक्स में प्रभावित व उनके रिश्तेदार एकत्रित हुए थे। यहां से वाहन में भरकर जेल ले गए। धारा 144 उल्लंघन पर मेनगांव थाने से हमें मंडलेश्वर जेल ले गए। यहां पुलिसकर्मियों ने गालीगलौज कर हमें लाठियों से पीटा। इसमें मुन्ना डंगरिया को थप्पड़ व डंडे मारे। पतिराम बाठा को पैर, कमर व पीठ में लातें मारी। सखाराम बिरला को मुर्गा बनाकर पाइप से मारा। शोभाराम तारसिंह व जेना गणपत को को पीठ पर डंडे मारे।
दोबारा आंदोलन करेंगे, फिर से जेल जाएंगे
डूब प्रभावित शिवराम व मुन्ना डांगरिया ने कहा कि हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो दोबारा आंदोलन कर जेल जाएंगे। भाजपा की सरकार में पूर्व सांसद सुभाष पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान मुलाकात कराई थी। तब चर्चा में हमें मुआवजा व पुनर्वास का आश्वासन मिला लेकिन मांग पूरी नहीं हुई। नई सरकार बनने के बाद विधायक केदार डावर भोपाल ले गए थे। यहां अफसरों से मिले थे। काम पूरा नहीं हुआ। तीसरी बार भरोसा किया है।
विधायक का आश्वासन : सभी लोगों का मुआवजा व पुनर्वास होगा
विधायक ने आश्वासन दिलाया कि सारे लोगों का मुआवजा व पुनर्वास होगा। विधायक के साथ ही संगठन के बड़वानी व बुरहानपुर के प्रतिनिधि भी शामिल थे। 25 दिसंबर के बाद मुख्यमंत्री से मिलेंगे। बांध प्रभावितों ने बताया फिलहाल आश्वासन के बाद बुरहानपुर व बड़वानी में भी आंदोलन स्थगित किया है। मांग पूरी नहीं हुई तो तीनों जिले के लोग खरगोन में धरना देंगे।
7 साल से पुनर्वास की मांग कर रहे हैं ग्रामीण
जागृत आदिवासी दलित संगठन की नेत्री माधुरीबेन ने बताया कि खारक बांध के डूब प्रभावितों को जीआरए के फै सले के बाद भी 129 लोगों को उनके हक की राशि शासन द्वारा नहीं दी जा रही है। वहीं 97 लोगों के फै सले होने के पहले ही जीआरए को भंग कर दिया गया। जबकि सुनवाई प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी थी। डूब प्रभावित पिछले सात वर्ष से पुनर्वास नीति के अनुसार पुनर्वास किए जाने की मांग शासन से कर रहे है, लेकि न नहीं कि या जा रहा है।