भोपाल। किसान कर्ज माफी के एलान में किसानों को नई मुसीबत में डाल दिया है। सरकार ने 10 दिन में सभी किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी लेकिन पूरा 1 साल बीत जाने के बाद भी कर्ज माफ नहीं हुआ है। नतीजा किसानों को खाद बीज और यूरिया के लिए नया कर्ज नहीं मिल रहा है। यूरिया उठाने के लिए उन्हें अपने घर के जेवरात गिरवी रखने पढ़ रहे हैं। मामला रायसेन का है।
रायसेन में 85000 किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ
जिले में 30 मार्च 2018 के पहले कर्ज लेने वाले कर्जमाफी के लिए पात्र किसानों की संख्या 1 लाख 31 हजार थी। इसमें से महज 45 हजार किसानों का ही 10 महीने में कर्ज माफ हो पाया है। इनमें भी ऐसे किसान बड़ी संख्या में है, जिनमें से किसी का 1 हजार तो किसी का 2 हजार रुपए का ही कर्ज माफ हो पाया है। इस तरह से जिले में कुल 10 करोड़ रुपए का ही कर्ज माफ हुआ है। जिले में अभी 85 हजार किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है। जिम्मेदारों के मुताबिक 45 हजार किसानों का कर्ज अब दूसरे राउंड में माफ होना है लेकिन कब तक हो पाएगा इसकी कोई जानकारी तक नहीं दे पा रहा है।
कर्ज माफ नहीं हुआ इसलिए नकद में लेना पड़ रहा यूरिया
पहले सहकारी समितियों से किसानों को बैंक खातों के आधार पर उधारी में खाद मिल जाता था। इस राशि को किसान फसल आने पर ब्याज सहित चुकता कर देते थे। लेकिन इस बार किसानों के ऊपर गंभीर आर्थिक संकट होने के बावजूद एक आदेश जारी कर दिया गया है कि नगद राशि जमा करने पर ही किसानों को यूरिया दिया जाएगा। इसके बाद सहकारी समितियां हों या मार्कफेड की गोडाउन, सभी जगह निजी दुकानों की तरह किसानों को यूरिया के लिए नकद राशि चुकाना पड़ रही है।
बेटी के जेवर गिरवी रखने पड़े
उदयपुरा के कैकड़ा गांव में रहने वाले किसान गोविंद लोधी के मुताबिक बेटी के विवाह में उनके ऊपर 4 लाख रुपए का कर्ज हो गया। उसके बाद उन्होंने अपनी 10 एकड़ जमीन में अरहर, मूंग और धान की बोवनी की। अच्छी फसल की उम्मीद थी। लेकिन, अतिवृष्टि से 4 एकड़ जमीन में बोई गई अरहर और 3 एकड़ की मूंग पूरी तरह से नष्ट हो गई। इससे एक लाख का कर्ज चढ़ गया। 3 एकड़ जमीन में धान की बोवनी की इसमें 60 हजार की लागत आई। धान का उत्पादन मिला 24 क्विंटल जो बमुश्किल 48 हजार रुपए में बिकी। खरीफ की फसल तक ही गोविंद पर 5 लाख का कर्ज चढ़ चुका था। गोविंदसिंह ने अपने बेटी के सोने के कड़े गिरवी रखकर कर्ज लिया तब जाकर वे रबी की फसल के लिए खाद और बीज खरीद पाए हैं। कर्जमाफी नहीं हुई इसलिए बैंक से भी पैसा नहीं मिल पा रहा है।
पत्नी के जेवर गिरवी रख लिया कर्ज
देवनगर क्षेत्र में आने वाले तरावली गांव निवासी कमलेश अहिरवार के मुताबिक उन्होंने सेंट्रल बैंक के किसान क्रेडिट कार्ड पर एक लाख रुपए का फसलों के लिए लोन लिया था। लोन की इस राशि का उपयोग करते 2 एकड़ जमीन में खरीफ की फसलें उगा दी। अतिवृष्टि से फसलें खराब हो गईं। सोचा था कर्जमाफी हो जाएगी। तो बैंक का लोन चुका दूंगा। इससे बैंक से और राशि मिल जाने के बाद वे खेती का आगे काम कर पाएंगे। लेकिन खरीफ की फसल अतिवृष्टि की चपेट में आने से नष्ट हो गई। इससे बहुत घाटा उठाना पड़ा। एक लाख रुपए का कर्ज माफ हो जाता तो भी राहत मिल जाती। लेकिन एक रुपए की भी कर्जमाफी नहीं हुई। अब रबी फसल के लिए खाद-बीज का इंतजार करना भी मुश्किल हो गया तो मजबूरी में पत्नी के जेवर गिरवी रखकर कर्ज लिया। कर्ज कि इस राशि से रबी फसल के लिए खाद बीज खरीद रहे हैं।