भोपाल। पिछले 18-19 दिन से लगातार कड़कड़ाती ठंड, बारिश, मौसम और सरकार के बेमिजाज कहर के बीच अपनी माॅगों को लेकर भोपाल के शाहजहाॅनी पार्क में आंदोलन कर रहे अतिथि विद्वानों को न तो सरकार संजीवनी बूूॅटी दे रही है और न ही मौसम ही रहम कर रहा है। महिलायें अपने दुधमुये बच्चों और परिवारों को छोड़कर उम्मीद और आशा के बीच सरकार से अपने वचन पत्र को पूरा करने के लिये दमतोड़ रही है।
आमरण अनशन से पेट में एक भी दाना न जाने और जो पेट मेें था वह सरकार से छिन जाने के कारण हालत बेहाल कुछ अतिथि विद्वान हमीदिया में भर्ती है तो और जाने की राह में है। सरकार न तो इनके दर्द पर मरहम लगा रही है उल्टे मुख्यमंत्री और उच्चशिक्षा मंत्री के इस कथन से और भी आहत हो रहे है कि कोई भी अतिथि विद्वान बाहर नहीं होगा किसी की भी नौकरी नहीं जायेगी। जबकि वैकल्पिक प्रश्नों को हल कर बने सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति से बाढ की तरह अतिथि विद्वान बेरोजगार होते जा रहे है ऐसे में सरकार के वादे और दावे पूरे तरह खोखले साबित हो रहे है। विधानसभा सत्र अतिथि विद्वानों की भेंट चढ गया। प्रतिपक्ष नेता पं. गोपाल भार्गव के नेतृत्व में विधायकों ने सदन में अतिथि विद्वानों के नियमितिकरण का मुद्दा उठाया और बैरी सरकार के कुतर्को और आरोप प्रत्यारोप के हो हल्ला के कारण सत्र अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दिया गया।
कड़ाके की ठंड में जहाॅ लोग अपने घरों में सुरक्षित नहीं है ऐसे में खुले आसमान के नीचे पंडाल में गूजरवशर कर रहे अतिथि विद्वानों की क्या हालत होगी ये सोच कर ही रूह काॅप जाती है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की देर से ही सही रूह कांपी, इसके पहले प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की कांपी और बो शाहजहाॅनी पार्क पहुंचे और सरकार को दहाड़ा। शिवराज सिंह चैहान ने भी सरकार को आढेे हाॅथों लिया और मुख्यमंत्री को मशवरा दिया कि 25-26 साल तक सेवा करने वाले अधेड़ उम्र की ओर बढते ये अतिथि विद्वान अपने परिवारों की परवरिश अब कैसे कर पायेंगे मानवीय आधार पर इनकी नौकरी नहीं जाना चाहिये और इन्हें नियमित करना चाहिये। समाजवादी चिंतक और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघु ठाकुर ने भी अतिथि विद्वानों की माॅंगों को जायज ठहराते हुए उनके नियमितिकरण का समर्थन किया।
सपाक्स के अध्यक्ष डाॅ हीरालाल त्रिवेदी ने अतिथि विद्वानों को नियमित करने का कानूनी ग्राफ तैयार किया और राज्यपाल माननीय लाल जी टंडन को एक ज्ञापन के माध्यम से दिया। इसके पहले बासपा से दमोह जिले की पथरिया से विधायक श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह परिहार ने भी अतिथि विद्वानों का समर्थन किया और उन्होंने एक प्रतिनिधि मंडल को ले जाकर मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात भी करायी। लेकिन उच्च शिक्षा मंत्री की हठधर्मिता के चलते वहाॅ प्रतिनिधियों को ये समझ में आया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ को उच्च शिक्षामंत्री कहीं न कहंी गुमराह कर रहे है उनकी मंशा और उच्च शिक्षामंत्री की मंशा अलग अलग नजर आयी। वहाॅ उच्च शिक्षा मंत्री का अतिथि विद्वानों के प्रति व्यवहार और संबोधन भी भद्दा और अशोभनीय सुना गया। मुरझायें चेहरे आंदोलन स्थल पर आये बिना खाये पिये पंडाल में जहाॅ जगह मिली आराम करने लगे। कहीं से कोई उम्मीद नहीं पछतावा इस बात का कि उच्च शिक्षा में उच्च शिक्षित इन गुरूओं की बद से बदतर स्थिति देखकर देश और प्रदेश के वह विद्यार्थी जो इनसे शिक्षा पाये अच्छे अच्छे मुकाम पर पहुंचे क्या सोच रहे होगे..?
आंदोलन का 16 वाॅ दिन समाप्त होने के अंतिम पहर आधीरात को उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी यह कहते हुए आंदोलन स्थल पर मुखातिर हुए कि मंत्री जीतू पटवारी आपके बीच नहीं आया है बल्कि जीतू पटवारी आप सभी का बड़ा भाई आप लोगों के हालचाल जानने आया है आप लोगों को पल्ली और गद्दे कम पढ रहे हों तो उनका प्रबंध हम करा देंगे। उनकी दरियादिली देख खुशी नहीं वेदना हुई क्योंकि इस दौरान जो भी बात चीत हुई वह पहले की तरह ही गोलमाल और वादा खिलाफी की थी। उनके आंदोलन को स्थगित करने के आग्रह को सिरे से खारिज कर दिया अतिथि विद्वानों ने। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को शाम को नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव अतिथि विद्वानों की मांग को लेकर फिर एक्शन मूड में आये और उन्होंने अतिथि विद्वानों के एक प्रतिनिधि मंडल के सामने ही उच्च शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री कमलनाथ से विस्तृत चर्चा की। खबर यह है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष को अतिथि विद्वानों के नियमितिकरण पर विचार विमर्स करने मिलने का न्यौता दिया है अगले सप्ताह मुलाकात हो सकती है। कमलनाथ जी ने अपनी मंशा को स्पष्ट किया कि हमें अतिथि विद्वानों की चिंता है सहायक प्राध्यापकों की नियुक्त्ति से प्रभावित अतिथि विद्वानों को महाविद्यालय से न निकालने तथा उनके पुर्नवास की व्यवस्था के लिये मैने मौखिक आदेश दिया था यदि उन्हें निकाला जा रहा है तो मै दिखवाता हूॅ। उन्होंने कहा कि मैने ट्वीट कर अतिथि विद्वानों को ये संदेश दिया था कि कार्यरत् अतिथि विद्वानों को किसी भी स्थिति में निकाला नहीं जायेगा।
गौरतलब है कि सरकार के ढुलमुल और अस्पष्ट रवैये के कारण कहीं न कहीं अतिथि विद्वान अपने रोजगार जाने की आशंका को लेकर दिन प्रतिदिन आक्रोशित होते जा रहे है। अतिथि विद्वानों का कहना है सरकार जो कह रही है उसे लिखित में आदेश जारी करे। ट्वीट नहीं लेटर चाहिये। और वो अपने नियमितिकरण की मांग को अंगद के पैर की तरह डटे हुए है। डाॅ देवराज सिंह ने बताया कि भाजपा के 108 विधायकों सहित कांग्रेस के पचहत्तर फीसदी मंत्रियोें और विधायकों की मंशा अतिथि विद्वानों को नियमित करने के पक्ष में है। सरकार को कहाॅं अड़चने महसूस हो रहीं है समझ से परे है। जबकी कांग्रेस के वचन पत्र क्रमांक 17.22 में स्पष्ट उल्लेख है कि जो अतिथि विद्वान लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक परीक्षा में चयनित नहीं हुए उन्हें नियमित किया जायेगा।
डाॅ सुरजीत सिंह भदौरिया ने कहा कि हम अतिथि विद्वान यूजीसी की सभी योग्यतायें रखते है। लगभग 20 सालों का अनुभव है। लोकसेवा आयोग परीक्षा में उत्तीर्ण है। सीटों की कमी और आरक्षण नियमों के कारण हम चयन से वंचित रह गये। पर अयोग्य तो नहीं है। हमारा नियमितिकरण होना चाहिये। यहां यह भी कहना चाहूंगा जो हमारे साथी लंबे समय से पढा रहे है और यूजीसी मापदंडो को पूरा नहीं करते उन्हें सरकार 3-4 साल का योग्यता पूरी करने का समय दें जैसा कि पहले ऐसा होता रहा है।डाॅ मंसूर अली खांन, डाॅ जेपीएस चैहान डाॅ आशीष पांडे ने भी एक स्वर में कहा कि जब तक अतिथि विद्वानों की नौकरी की सुरक्षा नहीं हो जाती तब आंदोलन जारी रहेगा।