भोपाल। शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश का एजुकेशन पोर्टल जानकारियों को सार्वजनिक करने के लिए है। इसका तात्पर्य नहीं होता कि यदि कोई जानकारी एमपी एजुकेशन पोर्टल पर नहीं है तो उसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। जबलपुर हाईकोर्ट ने एमएलबी कन्या उमावि जबलपुर की प्राचार्य प्रभा मिश्रा की उस याचिका को निरस्त कर दिया जिसमें उन्होंने अपने तबादले को इसलिए चुनौती दी थी क्योंकि उनका तबादला आदेश एजुकेशन पोर्टल पर अपलोड नहीं हुआ था।
प्रभा मिश्रा ने हाईकोर्ट में क्या दलील दी थी
एमएलबी कन्या उमावि जबलपुर की प्राचार्य प्रभा मिश्रा की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि उनका तबादला एक अक्टूबर २०१९ को कटनी जिले के बड़वारा शासकीय उत्कृष्टता उमावि की प्राचार्य के पद पर कर दिया गया। इसकी उन्हें तत्काल सूचना नहीं दी गई। यहां तक कि स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर भी आदेश अपलोड नहीं किया गया। उन्हें इसकी सूचना दो अक्टूबर 2019 को दी गई। सरकारी पोर्टल पर अब भी बड़वारा एक्सेलेंस स्कूल के प्राचार्य पद पर केपी धुर्वे पदस्थ हैं। लिहाजा वह पद रिक्त नहीं है, जिस पर उनका तबादला किया गया। इस तरह तबादला नियमों के खिलाफ व अवैधानिक है। अधिवक्ता एपी श्रोती ने आग्रह किया कि इसे निरस्त किया जाए।
सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में क्या कहा गया
राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता जेके पिल्लै ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को दो अक्टूबर को रिलीव किए जाने की सूचना दी गई। उन्होंने बताया कि बड़वारा स्कूल के प्राचार्य केपी धुर्वे नहीं हैं। वहां एक अन्य शिक्षक जुगल चौरसिया प्रभारी हैं। तर्क दिया गया कि अतुल कुमार खंडेलवार को सगड़ा झपनी से स्थानांतरित कर एमएलबी स्कूल जबलपुर के प्राचार्य पद पर पदस्थ कर दिया गया है। याचिकाकर्ता 12 जून 2014 से एमएलबी जबलपुर की प्राचार्य हैं। नियमों के अनुसार एक जगह तीन साल से अधिक कार्य नहीं किया जा सकता। उन्होंने तबादले को प्रशासनिक आवश्यकता बताया।
हाई कोर्ट का फैसला
जस्टिस संजय यादव की सिंगल बेंच ने इस अभिमत के साथ प्राचार्य की याचिका निरस्त कर दी की एमएलबी गर्ल्स स्कूल जबलपुर की प्राचार्य पांच साल से अधिक समय से इस पद पर आसीन हैं। इस लिहाज से उनका स्थानांतरण प्रशासनिक आवश्यकता व सेवा का अहम हिस्सा है। प्रशासनिक मामलों में आदेश महत्वपूर्ण होता है यदि वह किसी कारण से ऑनलाइन नहीं हो पाया है तो इसके कारण उसे निष्प्रभावी नहीं माना जा सकता।