भोपाल। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से चयनित सहायक प्राध्यापकों की रैली भोपाल पहुंच गई है। भोपाल के मुहाने पर प्रवेश से पहले 27 सहायक प्राध्यापकों ने मुंडन कराया। घबराई सरकार ने पुलिस भेज कर प्रदर्शनकारियों को भोपाल के बाहर ही रोक दिया। अब तक 100 से ज्यादा सहायक प्राध्यापक मुंडन करा चुके हैं। यह सभी पीएससी परीक्षा पास करने के बाद नियुक्ति के आदेश मांग रहे हैं। पिछले 15 महीनों से इनका संघर्ष जारी है और यह सारा हंगामा लोक सेवा आयोग के अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से आयोजित की गई परीक्षा के कारण हो रहा है।
भोपाल में 27 पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापकों ने मुंडन कराया
24 नवंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मभूमि महू से पद यात्रा (संविधान रक्षा यात्रा) शुरू हुई और शनिवार काे भोपाल पहुंची। दोपहर 2 बजे इन्हें पुलिस ने राजधानी में प्रवेश नहीं करने दिया। इन उम्मीदवारों को भैंसाखेड़ी के पास ही रोक दिया गया। सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर कर रहे 27 उम्मीदवारों ने यहीं मुंडन कराया। वहीं महिला उम्मीदवारों ने भी घोषणा कर दी है कि यदि उच्च शिक्षा विभाग जल्द ही नियुक्ति नहीं देता है तो वे भी रविवार से मुंडन कराएंगी।
अब तक 100 से ज्यादा पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापक मुंडन करा चुके हैं
इस दौरान लगभग 1500 उम्मीदवार पहुंचे। कईयों के परिजन भी इसमें हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं। कई उम्मीदवारों के पैर में छाले पड़ गए हैं। अब तक 100 से अधिक उम्मीदवार मुंडन करा चुके हैं। उम्मीदवारों का मुंडन करने वाले व्यक्ति भी पीएससी से फिजिक्स विषय में चयनित उम्मीदवार सागर सेन हैं। इन्होंने राज्य स्तरीय पाक्षता परीक्षा (सेट) क्वालिफाई किया है। इस पदयात्रा के दौरान इन्होंने भीख मांगकर पैट भरा। उम्मीदवारों का कहना है कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के हाल बेहाल हैं। इसके बाद भी लगातार आश्वासन मिलते रहे।
उच्च शिक्षा विभाग में कंडीशनल नियुक्ति आदेश जारी किए हैं
एक ओर 2600 से अधिक उम्मीदवारों को कोर्ट का हवाला देकर नियुक्ति आदेश नहीं दिए जा रहे हैं। वहीं जिन 33 उम्मीदवारों को कंडीशनल नियुक्ति आदेश देकर वाहवाही लूटने की कोशिश हो रही है। आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि सभी उम्मीदवारों की ये नियुक्तियां उच्च न्यायालय या अन्य न्यायालयों में प्रचलित या इस विषयवस्तु से जुड़ी अन्य याचिकाओं में न्यायालय द्वारा दिए गए या दिए जाने वाले अंतरिम आदेशों/अंतिम आदेशों के अध्यधीन हैं। न्यायालयों के परिप्रेक्ष्य में यह नियुक्ति आदेश कभी भी संशोधित किया जा सकता है और किसी नियुक्त उम्मीदवार की सेवा तत्काल प्रभाव से शासन द्वारा समाप्त की जा सकती है।