नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र एवं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि भारत का रियल स्टेट सेंटर ब्लास्ट होने वाला है। उन्होंने कहा कि पूरे बाजार में एक अजीब सी मायूसी छाई हुई है। हालात चिंता से ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो चुके हैं। अब इन्हें संभालना आसान नहीं होगा। रघुराम राजन ने कहा कि खबरों को कंट्रोल करने से हालात कंट्रोल नहीं हो जाते हैं।
सारे देश में मायूसी छाई हुई है, इसलिए आर्थिक सुस्ती
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक बार फिर भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की है। राजन ने मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए कई सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने लेबर, टेलिकॉम, भूमि अधिग्रहण और कृषि संकट जैसे मुद्दों पर अपने सुझाव दिए हैं। इंडिया टुडे पत्रिका के लिए लिखे लेख, 'How to fix the economy' में उन्होंने कहा देश में आर्थिक सुस्ती की वजह से मायूसी का माहौल है। सरकार अपने स्तर पर कई बड़े फैसले ले चुकी है, लेकिन अबतक उसका जमीनी स्तर पर कोई खास प्रभाव नहीं दिख रहा है।
प्रतिमाएं बनाने के बजाय बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी बनाएं
रघुराम राजन का कहना है कि भारत को राष्ट्रीय और धार्मिक नायकों (गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल एवं अयोध्या में भगवान श्री राम) की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं बनाने के बजाए ज्यादा से ज्यादा आधुनिक स्कूल और विश्वविद्यालय बनवाने चाहिए। उन्होंने कहा है कि हिन्दू राष्ट्रवाद न सिर्फ सामाजिक तनाव को बढ़ाता है, बल्कि ये भारत को आर्थिक विकास के रास्ते से भी डिगा देता है।
एक असंगठित सरकार
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने सरकार पर तंज भी किया है। राजन ने कहा कि एक असंगठित सरकार आईटीएस को सशक्त कर जांच और निवेश एजेंसियों को बुलडोज कर रही है। उन्होंने दीर्घकालिक निवेश के लिए बिजनेस पर ध्यान देने की सलाह दी।
फैसला केवल PMO लेता है
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की मानें तो भारतीय अर्थव्यवस्था में अस्वस्थता के संकेत मिल रहे हैं। देश में सत्ता का बहुत ज्यादा केंद्रीकरण हो गया है, जहां प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के पास ही सारी शक्तियां हैं। उनके मंत्रियों के पास कोई अधिकार नहीं हैं। न केवल बड़े फैसले पीएमओ में लिए जाते हैं, बल्कि विचारों और योजनाओं को भी प्रधानमंत्री के आसपास मौजूद लोगों का एक छोटा सा समूह तय करता है।
खबर दबाने से हालात नहीं बदलेंगे: राजन
रघुराम राजन का मानना है कि आर्थिक मंदी की समस्या से उबरने के लिए मोदी सरकार को पहले समस्या को स्वीकार करना होगा। हर आंतरिक या बाहरी आलोचना को राजनीतिक ब्रांड के तौर पर पेश करने से हल नहीं निकलेगा। सरकार को समझना होगा कि बुरी खबर या किसी असुविधाजनक सर्वे को दबाने से हालात नहीं बदलेंगे। राजन की मानें तो किसी भी मुद्दे पर केवल तभी काम होता है, जब पीएमओ उस पर ध्यान देता है।
5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्य मुश्किल
रघुराम राजन ने कहा कि 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए हर साल कम से कम 8 से 9 फीसदी की विकास दर की जरूरत होगी, जो फिलहाल संभव नजर नहीं आता है। रघुराम राजन ने लेख में लिखा है कि युवाओं में बेरोजगारी बढ़ रही है, घरेलू कारोबारी निवेश नहीं कर रहे। निवेश में ठहराव इस बात का सबसे मजबूत संकेत है कि सिस्टम में कुछ बड़ी खामियां है। निर्माण, रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचा क्षेत्र गहरी परेशानी में हैं। इस वजह से इन्हें कर्ज देने वाली गैर बैंकिंग वित्त कंपनियां भी संकट में हैं। बैंकों के फंसे हुए लोन के चलते, नए कर्ज देने की रफ्तार थम गई है।
रियल एस्टेट सेक्टर सबसे ज्यादा संकट में
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में छाई मंदी पर फिर से सरकार को चेताया। उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर में आर्थिक सुस्ती के कारण रियल एस्टेट सेक्टर पर काफी दबाव है। अगर अब भी सही कदम नहीं उठाए गए, तो देश को गंभीर अंजाम भुगतने पड़ सकते हैं। रियल एस्टेट सेक्टर में करीब 3.3 लाख करोड़ रुपये के प्रॉजेक्ट फंसे हुए हैं। वहीं 4.65 लाख यूनिट घर निर्माण की प्रक्रिया बीच में अटके पड़े हैं। इन हालातों के मद्देनजर रघुराम राजन ने भारत के रियल एस्टेट को मौजूदा टाइम का बम करार दिया और उसके कभी भी फटने की आशंका जाहिर की।
सरकारी एजेंसियों का हो सही उपयोग
रघुराम राजन ने सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग के लिए भी मोदी सरकार की आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि सरकार अपने ही अधिकारियों को कमजोर कर रही है, क्योंकि उन्हें भविष्य की सरकारों द्वारा भी ऐसी ही कार्रवाई का डर सताएगा. राजन ने लिखा है कि प्रोफेशनलिज्म का मतलब ये है कि जांच करने वाली एजेंसियों और टैक्स एजेंसियों को किसी के पीछे पड़ने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।