सोशल मीडिया कई तरह के फैशन ट्रेंड कर देती है। कई सारे नए शब्द, हैशटेग, शॉर्ट फॉर्म प्रचलन में आ रहे हैं जैसे TC अर्थात टेक केयर (अपना ध्यान रखना)। ऐसा ही एक शब्द है RIP. सोशल मीडिया पर जब भी किसी के निधन की सूचना नजर आती है तो लोग उसके नीचे कमेंट बॉक्स में RIP लिख देते हैं। प्रश्न यह है कि क्या RIP का अर्थ श्रद्धांजलि देना है, या सूचना देने वाले व्यक्ति को सांत्वना देना। या फिर इसका कोई और ही अर्थ है। क्या अर्थ धर्म के आधार पर है। क्या हिंदुओं के शोक संदेश पर RIP कहना/लिखना उचित है। आइए जानते हैं:
R.I.P की फुल फॉर्म क्या होती है - rip meaning in hindi
ज्यादातर लोग एक भीड़ का हिस्सा होते हैं। उनकी मान्यता होती है कि जो सब कर रहे हैं, वह सही ही होगा। ना तो उनके मन में कोई प्रश्न आता है और ना ही वह उसके उत्तर की तलाश करते हैं। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर देखा कि किसी के निधन की सूचना पर लोगों ने कमेंट बॉक्स में RIP लिखा है। बस एक के बाद एक सबने लिखना शुरु कर दिया। कुछ लोगों के लिए RIP का अर्थ होता है मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना, तो कुछ लोग RIP लिखकर यह समझ लेते हैं कि उन्होंने मृतक के परिवार को सांत्वना दे दी। दरअसल, RIP की फुल फॉर्म होती है (Rest in Peace) हिंदी में शांति से आराम करो या फिर शांति में आराम करो।
हिंदुओं की शुभ सूचना पर RIP क्यों नहीं लिखना चाहिए
जैसा कि आप पढ़ चुके हैं कि RIP की फुल फॉर्म होती है (Rest in Peace) इसका हिंदी अर्थ हुआ- शांति से आराम करो या फिर शांति में आराम करो। अब यह बताने की जरूरत नहीं की " शांति में आराम करो" और " भगवान उनकी आत्मा को शांति दे" मैं क्या अंतर होता है। हिंदुओं में मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति और उसके परिजनों को दुख सहन करने की शक्ति देने हेतु प्रार्थना की जाती है। RIP इसके लिए नहीं है। एक प्रकार से देखें तो यह हिंदुओं की अंतिम संस्कार प्रक्रिया के विरुद्ध है।
तो फिर लोग RIP क्यों लिखते हैं, क्या यह गलत है
मृत्यु की सूचना पर RIP लिखना गलत नहीं है। यह बिल्कुल सही है यदि मृत व्यक्ति ईसाई या मुस्लिम समाज से है। जिन समुदायों में मृत व्यक्ति के शव को कब्र में दफनाया जाता है उन सभी समुदायों के व्यक्ति के निधन पर RIP ही उचित है। आप उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे तो शायद हास्यास्पद हो। जो समुदाय शव को कब्र में दफन करते हैं, उनकी मान्यता है कि कयामत के दिन जब सभी मनुष्यों के पाप और पुण्य का हिसाब किताब होगा तब कब्र में दफन सभी लोग बाहर आएंगे। इसलिए कहा जाता है कि " कयामत का दिन आने तक कब्र में शांति से आरंभ करो"।
हिंदुओं में अंतिम संस्कार की परंपरा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार आत्मा शरीर का त्याग करके चली जाती है। शरीर को पंचतत्व में विलीन कर दिया जाता है। हिंदू मान्यताओं में मनुष्य के पाप और पुण्य का हिसाब या तो उसके जीवन में हो जाता है या फिर अगले जन्म में होता है। इसके लिए उसे कब्र में इंतजार नहीं करना होता। अतः हिंदू मनुष्य के मृत्यु पर RIP (Rest in Peace) लिखना या बोलना अनुचित है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article ✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें एवं यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल पर कुछ स्पेशल भी होता है। यहां क्लिक करके व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं।