यदि आप या आपके परिजन अस्थमा के मरीज हैं। सांस लेने में तकलीफ होती है। ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ गई है। शुगर के मरीज है और जान का खतरा है। किडनी में पथरी हो गई है या फिर आप ब्लड प्रेशर के मरीज हैं। इन सभी बीमारियों का सबसे सस्ता और सरल आयुर्वेदिक इलाज है। इन बीमारियों की दवा आपके घर के आसपास उपलब्ध है। यदि आप किसी माली को ₹10 देंगे तो आपको 10 दिन या इससे ज्यादा उपयोग में आने वाली दवा उपलब्ध करा देगा। जी हां इस दवा का नाम है आम के पत्ते। यह आपको फ्री में भी मिल सकते हैं। आम तो फलों का राजा होता है लेकिन आम के पत्ते भी कम चमत्कारी नहीं होते। यह एक शानदार आयुर्वेदिक औषधि है।
सांस के मरीज या अस्थमा के रोगियों के लिए शुद्ध आयुर्वेदिक दवा
अगर किसी व्यक्ति को सांस संबंधी कोई परेशानी है तो उसके लिए आम के पत्ते काफी लाभकारी माने जाते हैं। अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति अगर आम की पत्तियों का काढ़ा बना कर पिए तो उसे काफी आराम मिलेगा। अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों को सांस लेने में तकलीफ़ होती है और ऐसे में यह काढ़ा रामबाण का काम करता है।
शुगर और पथरी के रोगियों के लिए शुद्ध आयुर्वेदिक दवा
आम के पत्ते में एंटी डायबिटिक गुण होते हैं। यह व्यक्ति के बढ़े हुए शुगर को कंट्रोल कर सकता है। इसके लिए आपको आम के पत्तों को सुखाकर उसका पाउडर बनाना होगा और फिर उस पाउडर का नियमित सेवन करना होगा। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों में आपका शुगर कंट्रोल हो जाएगा। इतना ही नहीं, इसका पाउडर पथरी में भी बहुत लाभदायक होता है। इसके सेवन से कुछ दिनों में ही पथरी शरीर से बाहर निकल जाती है।
ब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए आयुर्वेदिक स्नान
जिनको ब्लडप्रेशर की समस्या होती है उन लोगों के लिए भी आम की पत्तियों को बहुत लाभदायक माना जाता है। ब्लडप्रेशर की समस्या से पीड़ित व्यक्ति यदि आम के पत्तों को पानी में उबालकर इससे स्नान करे तो उसे इस समस्या से जल्द छुटकारा मिल सकता है।
हिचकी के रोगियों के लिए सबसे सस्ती आयुर्वेदिक दवा
हिचकी शुरू हो जाने पर जल्दी रूकती नहीं है। ऐसे में आम का पत्ता बहुत मदद कर सकता है। हिचकी रोकने के लिए अगर व्यक्ति आम की पत्तियों को उबालकर उससे गरारे करे तो हिचकी की समस्या दूर हो जाती है।
वैधानिक चेतावनी: उपरोक्त सभी आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग एवं प्रभाव प्रसिद्ध वैद्य श्री ललित देव शास्त्री द्वारा बताया गया है। कृपया उपयोग करने से पहले अपने क्षेत्र के प्रतिष्ठित एवं वरिष्ठ वैद्य से अनुमति अवश्य प्राप्त कर लें।