मुंबई दहेज में दिया गया शहर है, 10 पाउंड वार्षिक किराए पर दे दिया था, पढ़िए मुंबई की मजेदार कहानी | GK IN HINDI

Bhopal Samachar
मुंबई, भारत का एक ऐसा शहर जहां सपने पूरे होते हैं। देशभर से लाखों लोग यहां रोजगार की तलाश में आते हैं। बॉलीवुड से लेकर इंडस्ट्री तक सब कुछ यहां तरक्की करता है। एक शहर जो 24 घंटे जागता है और भारत की किसी भी शहर से ज्यादा तेज भागता है। लेकिन यह मुंबई हमेशा ऐसा नहीं था। इसकी बड़ी मजेदार कहानी है। पुर्तगालियों ने यह शहर चार्ल्स को दहेज में दे दिया था। चार्ल्स ने इसे 10 पाउंड (वर्तमान में भारतीय मुद्रा करीब ₹1000) सालाना के बदले ईस्ट इंडिया कंपनी को किराए पर दे दिया था। यह शहर कई बार तबाह हुआ लेकिन फिर खड़ा हो गया। इसके साथ एक मिथक भी था। यूरोपियन कहते थे इस शहर में कोई भी व्यक्ति 3 साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकता।

मुंबई शहर नहीं 7 द्वीपों का समूह है

द्वीपों की शक्ल में बना ये शहर असल में नया नहीं है। इसकी सभ्यता इतनी पुरानी है कि आप सोच भी नहीं सकते। दूसरी सदी में भी इसके होने का प्रमाण मिलता है जब मौर्य साम्राज्य में इस द्वीपों के समूह में हिंदुओं और बौद्ध मान्यताओं के लोगों को बसाया गया था। मुंबई की कहानी बहुत रोचक है क्योंकि सदी दर सदी इसमें बदलाव होते गए और ये शहर भारत के लिए हर सदी में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता चला गया। पर सबसे बड़ा बदलाव आया था पुर्तगालों के आने के बाद।

मुंबई की स्थापना कब हुई

1534 तक मुगलों की कब्जा पूरे भारत में था और हुमायूं के बढ़ते कद के कारण गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह को डर लगा और वो उपाय खोजने लगे ताकि किसी तरह से मुगलों को दूर रखा जाए। 9वीं सदी से ही मुंबई के द्वीप गुजराती परिवार के पास थे। उसी डर के कारण बहादुर शाह ने पुर्तगालियों के साथ एक संधी की। वो संधी थी बेसिन की संधि (Treaty of Bassein) जो दिसंबर 1534 में हुई थी। इसका मतलब था कि बॉम्बे के 7 द्वीप जो बेसिन शहर के करीब थे (अब बेसिन को वसई कहा जाता है जो मुंबई का ही हिस्सा है।) वो पुर्तगालियों के अंतरगत आ जाएंगे। यही थी मुंबई के बनने की शुरुआत।

बॉम्बे नाम कैसे पड़ा, किसने रखा, कब रखा गया

1534 में पुर्तगालों ने मुंबई द्वीपों को अपने कब्जे में लिया। तब तक भी ये एक शहर नहीं बना था बल्कि कई द्वीपों का समूह था। पुर्तगाली लोग इस शहर में एक ट्रेडिंग सेंटर या फैक्ट्री बनाना चाहते थे। पुर्तगाली इस शहर को बॉम बाहिया (Bom bahia) कहते थे जिसका मतलब था 'the good bay' (एक अच्छी खाड़ी)। इसी शब्द को अपभ्रंश कर अंग्रेजों ने कहना शुरू किया बॉम्बे और ऐसे मिला उन द्वीपों के समूह को अपना सबसे प्रचलित नाम बॉम्बे। 

द्वीपों का समूह शहर कब बना

1626 तक यानी 100 सालों से भी कम समय में ये द्वीपों का समूह एक बड़ा शहर बन चुका था। यहां से कई चीजों का आयात निर्यात किया जाता था और ये एक ऐसा शहर बन गया था जहां बड़े महलों से लेकर आम आबादी के लिए पक्के घरों तक सब कुछ था। जहाज बनाने के लिए एक यार्ड भी बन गया था। गोदाम, किला, मठ आदि सब कुछ।

मुंबई पर अंग्रेजो का कब्जा कैसे हुआ

1626 में पहली बार अंग्रेजों ने मुंबई की तरफ रुख किया। हालांकि, पुर्तगालियों के साथ 1612 में भी अंग्रेजों ने जंग लड़ी थी, लेकिन मुंबई काफी हद तक सुरक्षित था। तब अंग्रेजों और पुर्तगालियों के बीच जंग चल रही थी और अंग्रेजों ने ये सुना था कि बॉम्बे नाम की जगह पर पुर्तगाली अपने जहाजों की मरम्मत करते हैं। अंग्रेजों ने हमला किया और पुर्तागिलों के दो नए जहाज जला दिए लेकिन फिर भी कई जहाज नहीं मिले और अंग्रेजी सैनिकों ने वहां की बिल्डिंगों में आग लगा दी। फिर भी वो खाली हाथ ही वापस गए। 

क्योंकि बॉम्बे गहरे पानी का पोर्ट था इसलिए वहां बड़े जहाज आसानी से आ सकते थे। इसलिए ये तार्कित तौर पर बहुत अहम था। इस द्वीपों के समूह को पाने के लिए अंग्रेजों ने बहुत मेहनत की, लेकिन क्योंकि मुंबई पर किसी भी रास्ते से जमीनी हमला नहीं किया जा सकता था तो ऐसे में अंग्रेजों को रुकना पड़ा।

दहेज में दे दिया गया था बॉम्बे..

आखिर अंग्रेज किसी बाहरी तौर पर बॉम्बे पर कब्जा नहीं कर पाए, लेकिन उन्हें बॉम्बे बड़ी आसानी से मिल गया। बॉम्बे पर अंग्रेजों की नजरें बहुत पहले से थीं, लेकिन वो किसी भी हाल में उसे ले नहीं पाए, लेकिन 1652 में सूरत काउंसिल ऑफ ब्रिटिश अम्पायर ने अंग्रेजों से कहा कि वो बॉम्बे को पुर्तगाल से खरीद लें। बहुत कुछ हुआ उस दौर में, लेकिन महज 9 सालों के अंदर ब्रिटेन के चार्ल्स II की शादी पुर्तगाल के राजा की बेटी कैथरीन से हो गई। 11 मई 1661 को बॉम्बे के 7 द्वीप ब्रिटेन को दहेज में दे दिए गए।

चाल से मुंबई को 10 पाउंड सालाना किराए पर दिया था

पर इस कस्बे पर चार्ल्स ज्यादा दिन तक राज नहीं कर पाए। वो विवाद से बचना चाहते थे और तब चार्ल्स ने बॉम्बे शहर ईस्ट इंडिया कंपनी को महज 10 पाउंड सोना सालाना के किराए पर दे दिया और ऐसे मुंबई में आई ईस्ट इंडिया कंपनी।

मुंबई शहर के बारे में सबसे बड़ा अंधविश्वास क्या है

हालांकि, ईस्ट इंडिया कंपनी के लोगों के लिए ये जगह अनुकूल नहीं थी। अधिकतर यूरोपियन मानते थे कि इस जगह आने के बाद तीन साल के अंदर उनकी मृत्यू हो जाएगी। वहां दो मॉनसून देखने के बाद लोग तीसरा नहीं देख पाते थे। जो बच्चे पैदा होते थे उनमें से भी 20 में से 1 ही बच पाता था और जो पुरुष वहां रहते थे उन्हें लोकल महिलाओं के साथ शादी करने को कहा गया। हालांकि, इंग्लैंड से भी महिलाओं को भेजा गया। धीरे-धीरे वो लोग बॉम्बे के साथ हो लिए।

मुगलों के हमले में मुंबई बर्बाद हो गया था

अंग्रेजों ने मुगलों के कई जहाज 1688 में अपने कब्जे में लेकर बॉम्बे हार्बर में छुपा लिए थे। उसके बाद फरवरी 1689 में मुगलों ने बॉम्बे पर हमला कर दिया और तब जो लोग भी किले के बाहर रहते थे वो शरण मांगने किले तक पहुंचे। उस समय कंपनी को खासा नुकसान हुआ। इस लड़ाई के बाद मुगलों से अंग्रेजों ने संधी कर ली लेकिन मुंबई की आबादी बहुत घट गई और वो वापस अपने पहले वाले हाल पर चला गया।

मुंबई में रेलवे की शुरुआत कब हुई

धीरे-धीरे मुंबई ने फिर अपनी रफ्तार पकड़ी और एक बार फिर वहां से व्यापार शुरू हुआ। 1853 में मुंबई में रेलवे लाइन आई और शहर के दलदल जो द्वीपों को अलग करते थे उन्हें भर दिया गया और मुंबई को एक बड़ा द्वीप बना दिया गया। जो रेलवे लाइन आई थी वो मुंबई से थाणे तक के लिए ही थी। कंट्रोल बनाए रखने के लिए मुंबई में कई सरकारी बिल्डिंग बनाई गई जो अभी भी साउथ बॉम्बे में हैं। इनमें से दो हैं बॉम्बे मुनिसिपल कॉर्पोरेशन की बिल्डिंग और सीएसटी टर्मिनल (जो पहले विक्टोरिया टर्मिनल था)।

मुंबई का नाम मुंबई क्यों रखा गया

ये शहर अपनी रफ्तार से बढ़ता गया। 1864 तक यहां 816,562 लोग रहते थे और 1991 तक यानी 130 सालों में ये संख्या 1 करोड़ तक पहुंच गई। 1995 में ये शहर बॉम्बे से बदलकर मुंबई हुआ जो कि मुंबा देवी के नाम पर था। ये मछुआरों की देवी थी जो मुंबई में शुरुआत से रहा करते थे।
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