जबलपुर। मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में 15 साल पहले प्रमोशन घोटाला हुआ। घोटाला किसने किया और इस घोटाले के चलते कितने कर्मचारियों को नियम विरुद्ध प्रमोशन मिले इसका खुलासा करने के लिए कमलनाथ सरकार को एसआईटी का गठन करना पड़ेगा परंतु फिलहाल इसका एक सिरा जबलपुर में पकड़ में आ गया है। एक क्लर्क बिना किसी प्रशिक्षण और परीक्षा के लेखापाल बना दिया गया था। 15 साल से वह लेखापाल है। एक शिकायत के बाद इसका खुलासा हुआ और प्रमाणित हो गया कि प्रमोशन गलत हुआ है।
ना प्रशिक्षण, ना परीक्षा, प्रमोशन के लिए आयु सीमा का ध्यान भी नहीं रखा
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में पारितोष ठाकुर को सहायक ग्रेड-2 पद पर नियुक्ति दी गई थी। 20 फरवरी 2004 को विभागीय पदोन्नति समिति ने उसे लेखापाल पर पदोन्नति देने के आदेश जारी किए। स्टेट बैंक कॉलोनी गढ़ा निवासी अरविंद मिश्रा ने गत वर्ष शिकायत की थी कि पारितोष को सहायक ग्रेड-2 से लेखापाल पद पर पदोन्नति का लाभ गलत तरीके से दिया गया है। लेखापाल पद पर विभागीय पदोन्नति के लिए 45 वर्ष की आयु पूर्ण होने की सीमा निर्धारित की गई है, लेकिन 20 फरवरी 2004 को जब पदोन्नति आदेश जारी किए गए थे तब उसकी उम्र 41 वर्ष थी। लेखापाल पद के लिए पारितोष ने न परीक्षा दी न ही लेखा प्रशिक्षण उत्तीर्ण किया था। जांच समिति को दिए लिखित बयान में लिपिक ने भी स्वीकार किया कि वह लेखापाल पद पर पदोन्नति पाने की योग्यता नहीं रखता था।
पारितोष ठाकुर प्रमोशन कांड में अब क्या हो रहा है
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय ने माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल से पारितोष की शैक्षणिक योग्यता संबंधी जानकारी मांगी है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि 10वीं व 12वीं कक्षा की फर्जी अंकसूची संलग्न कर पारितोष ने स्वास्थ्य विभाग में लिपिक की नौकरी पाई थी। अधिकारी शिक्षा मंडल के जवाब की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनीष मिश्रा का बयान
स्वास्थ्य विभाग में लिपिक वर्ग कर्मचारी को विभागीय पदोन्नति समिति के त्रुटिपूर्ण आदेश के कारण लेखापाल पद पर पदोन्नति दे दी गई थी। प्रकरण संज्ञान में आने पर जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर कर्मचारी का डिमोशन कर रांझी अस्पताल में पदस्थ किया गया है।
पारितोष ठाकुर अकेला नहीं है ऐसे सैकड़ों प्रमोशन हुए हैं
सूत्रों का कहना है कि नियम विरुद्ध प्रमोशन का यह अकेला मामला नहीं है। स्वास्थ्य विभाग में 15 साल पहले इस तरह के कई प्रमोशन हुए हैं। बताने की जरूरत नहीं कि यह प्रमोशन गलती से नहीं हुआ बल्कि सोची समझी साजिश के तहत किया गया घोटाला है। इसमें काले धन का लेनदेन हुआ है। बहुत जरूरी है कि सरकार पूरे घोटाले की जांच कराएं और दोषियों तक पहुंचे। उन्हें दंडित किया जाए।