150 ECCE समन्वयकों का वेतन जारी करने को तैयार नहीं वित्त विभाग | MP NEWS

भोपाल। जनवरी 2016 में मध्य प्रदेश की बाल विकास परियोजना में नियुक्त 453 ECCE समन्वयकों का वेतन नियमित रूप से जारी किया जा रहा था। शिवराज सिंह सरकार ने सभी की सेवाएं समाप्त कर दी। हाईकोर्ट के आदेश पर सभी को वापस लिया जाना था लेकिन अधिकारियों ने 150 कर्मचारियों को वापस नहीं लिया। सरकार बदलने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी निष्कासित संविदा कर्मचारियों को वापस सेवा में लेने का आदेश दिया। महिला बाल विकास विभागतैयार है परंतु मध्य प्रदेश का वित्त विभाग अब इन 150 कर्मचारियों का वेतन जारी करने को तैयार नहीं। यहां जिक्र करना जरूरी है कि 150 रिक्त पदों पर नवीन नियुक्ति नहीं हो रही बल्कि निष्कासित कर्मचारियों की सेवा में बहाली हो रही है।

जनवरी 2016 में प्रदेश की 453 बाल विकास परियोजनाओं में नियुक्त हुए ECCE समन्वयकों को शिवराज सरकार द्वारा बजट का हवाला देकर सेवा समाप्ति का नोटिस दिया गया था जिसके उपरांत माननीय उच्च न्यायालय ने सभी की सेवा समाप्ति पर रोक लगाई थी। न्यायालय से स्थगन के कारण महिला बाल विकास के तत्कालीन आयुक्त श्री संदीप यादव ने सभी 51 जिलों के जिला अधिकारियों को इनके अनुबन्धों के नवीनीकरण करने का आदेश जारी किया गया था लेकिन लगभग 25 जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारियों द्वारा आयुक्त का आदेश ताक पर रख अपनी मनमर्जी से जिलों में अनुबन्ध नहीं किए। 

कांग्रेस सरकार बनने के बाद माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वचन पत्र में सभी निकाले गए संविदा कर्मचारियों को वापस रखने के निर्देश दिए थे जिस पर महिला बाल विकास ने सिर्फ एक निश्चित दिनांक 28 फ़रवरी 2019 को कार्यरत 146 समन्वयकों को ही निरंतर किया तथा बाकी लगभग 150 आज भी बहाली की उम्मीद में बेरोजगार हैं।

मुख्यमंत्री जी ने 1 अगस्त 2019 को बैठक में विभाग के महिला बाल विकास के प्रमुख सचिव एवं वित्त विभाग को निर्देश दिए थे कि 7 दिवस के अंदर ECCE समन्वयकों के पद बहाल कर सभी 453 लोगो को पुनः नियुक्ति दी जाए। जिस पर विभाग ने प्रदेश में ECCE पॉलिसी के क्रियान्वयन, बालशिक्षा केंद्रों के संचालन की मॉनिटरिंग तथा निजी प्री प्रायमरी संस्थाओं की मॉनिटरिंग के उद्देश्य से इन अनुभवी ECCE समन्वयकों को पुनः नौकरी में रखने के लिए पदों की स्वीकृति की नस्ती सामान्य प्रशासन एवं वित्त विभाग को प्रेषित की, इन पदों पर निकाले गए सभी समन्वयक समायोजित करने की रणनीति महिला बाल विकास की थी जो वचन पत्र में दिया था।

लेकिन वित्त विभाग द्वारा अगस्त 2019 से इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी जा रही है जो कहीं न कहीं मुख्यमत्री की के आदेशों की स्पष्ट अवहेलना है। मुख्यमंत्री जी द्वारा बार-बार वित्त विभाग को निर्देश दिए जा रहे है। वित्त द्वारा 453 पदों पर लगभग 19 करोड़ सालाना व्यय होने के कारण स्वीकृति नहीं दी जा रही है जबकि इन्हीं पदों के लिए बजट में लगभग 11 करोड़ पहले ही स्वीकृत है। 

वर्तमान में बचे हुए लगभग 300 समन्वयकों में से 146 कार्यरत है तथा बाकी अधिकारियों की मनमर्जी और अनुबन्धों में एकरूपता न होने की वजह से बाहर है और बहाली की उम्मीद में है क्योंकि CM के निर्देश पर फाइल चल रही है। क्या वित्त विभाग सीएम से बड़ा हो गया है जो सीएम के निर्देश के बाद भी स्वीकृति नहीं दे रहा है, जबकि सभी 300 बचे समन्वयकों के वेतन भुगतान के लिए पर्याप्त बजट प्रावधान है। केवल 2-3 करोड़ अतिरिक्त की आश्यकता है। 

क्या सस्पेंड कर्मचारी को बजट के नाम पर बहाल करने से मना किया जा सकता है 

यह बिल्कुल ऐसा ही मामला है। एक कर्मचारी या कर्मचारियों के एक समूह को व्यवस्था के नाम पर निलंबित कर दिया जाए तो क्या वित्त विभाग बजट के नाम पर ऐसे कर्मचारियों को अपने पदों पर बहाल करने से रोक सकता है। जिन कर्मचारियों का वेतन पहले से ही आहरित हो रहा हो, उनका मामला वित्त विभाग के पास विचार हेतु भेजा ही क्यों गया। वित्त विभाग का क्षेत्राधिकार केवल नवीन खर्चों से जुड़ा होता है। बजट में कमी के नाम पर कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त नहीं की जा सकती। 

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