भोपाल। व्यापम घोटाले के खिलाफ मध्य प्रदेश की आम जनता द्वारा दर्ज कराई गई तीखी प्रतिक्रिया का नतीजा यह हुआ कि उन तंमाम विभागों में भर्ती परीक्षा का आयोजन ही बंद हो गया, जो व्यापमं भर्ती घोटाले की जद में आ गए थे या फिर जो भर्ती घोटाले के लिए वर्षों से बदनाम रहे हैं। मप्र पुलिस विभाग ऐसा ही एक नाम है। पुलिस विभाग भर्ती परीक्षा में पॉलिटिकल सिफारिश और रिश्वत के लिए दशकों से बदनाम रहा है। व्यापमं घोटाले के बाद 2 साल से पुलिस विभाग ने भर्ती परीक्षा का आयोजन नहीं किया है। विभाग में पुलिस आरक्षक एवं एसआई के 22 हजार पद खाली हैं।
मध्यप्रदेश में करीब 1 लाख 20 हजार पुलिस फोर्स है। इनमें 93 हजार से ज्यादा फील्ड में काम करने वाले कर्मचारी हैं 26 हजार से ज्यादा का फोर्स एसएएफ का है। पिछले दो साल से पुलिस फोर्स में जवानों के रिटायरमेंट का सिलसिला चल रहा है। इस वजह से फोर्स कम होना शुरू हो गया है। तत्कालीन शिवराज सरकार ने हर साल पांच हजार पुलिस जवानों को भर्ती करने का टारगेट रखा था लेकिन 2018 से पुलिस भर्ती नहीं हो सकी। इसका कारण व्यापम घोटाला बताया गया।
ईमानदारी और पारदर्शिता का वादा
प्रदेश में सरकार बदल गयी। बीजेपी सरकार में घोटाला हुआ था और अब कांग्रेस सरकार है। कांग्रेस ने व्यापमं घोटाले के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। भर्ती परीक्षाओं में ईमानदारी की वकालत की थी। पारदर्शिता का वादा किया था। अब धर्मसंकट की स्थिति है। इसलिए कभी परीक्षा ऐजेंसी बदलने की बात करके तो कभी किसी और बहाने से भर्ती परीक्षा टाली जा रही है ताकि लोग चुनावी बातों को भूल जाएं।
22 हज़ार से ज़्यादा पद खाली
पूरे पुलिस विभाग में इस वक्त अजीब स्थिति है। नयी भर्ती हो नहीं रही और प्रमोशन भी रुके हुए हैं. कांस्टेबल से लेकर डीएसपी तक का प्रमोशन रुका हुआ है. रिटायरमेंट की आयु दो साल बढ़ायी जा चुकी है. मार्च 2020 के बाद पुलिसकर्मियों के रिटायर होने का सिलसिला शुरू हो जाएगा तो खाली पदों की संख्या और ज़्यादा बढ़ जाएगी. वर्तमान में पुलिस के 22 हजार से ज्यादा पद खाली हैं.भर्ती प्रक्रिया में देरी होने से खाली पदों की संख्या बढ़ती जा रही है.
कर्मचारी चयन आयोग की बात थी, अब टाल रहे हैं
सरकार में आते ही कांग्रेस ने सबसे पहले प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड, जिसका नाम पहले व्यापम था, उससे भर्ती परीक्षा नहीं कराने का निर्णय लिया था। कर्मचारी चयन आयोग बनाए जाने की बात हुई थी। इस निर्णय के बाद सरकार ने भर्ती प्रक्रिया के लिए मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाई। यह उपसमिति अभी तक भर्ती को लेकर किसी अंतिम फैसले पर नहीं पहुंची है। यही वजह है कि 2018 के बाद 2019 में भी भर्ती नहीं हो सकी। पुलिस कांस्टेबल ओर सब इंस्पेक्टर की भर्ती परीक्षा के लिए आखिरी बार विज्ञापन 2017 में जारी किया गया था, जिसका परिणाम एक साल बाद 2018 में आया था।
बीजेपी का आरोप
प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि पीईबी परीक्षा आयोजित कराता है, लेकिन कमलनाथ सरकार ने अघोषित प्रतिबंध लगा रखा है। प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है। सरकारी भर्तियां किसी भी माध्यम से कराना चाहिए। कांग्रेस सरकार ने पुलिस में 14 हजार पदों पर भर्ती करने का ऐलान किया है। भर्ती प्रक्रिया के लिए उपसमिति भी गठित की गई लेकिन पिछले एक साल में पुलिस भर्ती सिर्फ चर्चा में सिमट कर रह गई है। भर्ती के कारण करोड़ों का भार आने के डर से सरकार ने भर्ती प्रक्रिया रोक रखी है।