इंदौर। औद्योगिक सुस्ती के बीच इंदौर रीजन में उद्योगपतियों का निवेश जारी है। इस दौरान अपने निवेश की लागत कम करने के लिए अब उद्योगपति बंद पड़ी फैक्टरी, प्लांट को लेने लगे हैं। एमपीआईडीसी इंदौर भी इस प्रक्रिया को तेजी से कर रहा है, क्योंकि जमीन की कमी को देखते हुए और प्लांट के बंद होने पर रोजगार के संकट से बचने के लिए वह भी हस्तांतरण को मंजूरी जारी कर रहा है। करीब छह माह में एकेवीएन ने पीथमपुर क्षेत्र की ही 38 बंद पड़ी फैक्टरियों का हस्तांतरण पूरा कर दिया है और यह दूसरे उद्योगपतियों को शिफ्ट कर दी गई हैं। इन उद्योगपतियों द्वारा यहां पर कुल 122 करोड़ का निवेश कर बंद पड़ी फैक्टरियों को वापस शुरू कराया जा रहा है।
बंद फैक्टरी के हस्तांतरण से सभी को लाभ है
इन सभी के शुरू होने पर 2227 लोगों को रोजगार मिलेगा। निमरानी औद्योगिक क्षेत्र में सितंबर 2019 में देश के बड़े उद्योगपतियों में शामिल गौतम अडाणी की अडाणी विल्मर कंपनी ने 55 करोड़ निवेश कर परख एग्रो ले ली है। इससे 175 लोगों को रोजगार मिलेगा। एमपीआईडीसी के रीजनल डायरेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने कहा कि बंद फैक्टरी के हस्तांतरण से सभी को लाभ है। इससे रोजगार नहीं जाता है और जमीन की कमी के चलते यहां निवेश भी हो जाता है। उद्योगपति भी छह माह में काम शुरू कर देता है।
अक्टूबर 2018 में हुआ था सबसे बड़ा हस्तांतरण
कंपनियों के हस्तांतरण का सबसे बड़ा मामला अक्टूबर 2018 में सामने आया था, जब देवास की रैनबेक्सी को सन फार्मा ने 1067 करोड़ में ले लिया था। इससे 1703 लोगों को रोजगार भी मिल गया था। बीते एक साल में पीथमपुर के साथ ही निमरानी, मक्सी, देवास, मेघनगर आदि सभी क्षेत्रों में 55 से अधिक बंद फैक्टरी हस्तांतरित हो चुकी हैं, जिससे पांच हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।