ग्वालियर। सन 1991 में माधवराव सिंधिया ने जो पुल ग्वालियर की जनता को समर्पित किया था उसी पुल के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 7.55 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा है। कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने दावा पेश किया है। इसकी चेयरमैन ज्योतिरादित्य सिंधिया जी माताजी माधवी राजे सिंधिया है और ज्योतिरादित्य सिंधिया व उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे ट्रस्टी है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एजी ऑफिस पुल के लिए मुआवजा क्यों मांगा
कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट का दावा है कि ग्वालियर में जो एजी ऑफिस फूल बना है वह सिंधिया राजपरिवार की जमीन पर बनाया गया है। सरकार ने उनकी जमीन पर पुल तो बना लिया परंतु जमीन का मुआवजा अभी तक नहीं दिया। सिंधिया राजपरिवार के ट्रस्ट ने पुल के लिए उपयोग की गई जमीन के बदले मध्य प्रदेश सरकार से 7.55 करोड़ रुपए मुआवजा मांगा है।
लोग तो कहते हैं माधवराव सिंधिया ने बनवाया था एजी ऑफिस पुल
एजी ऑफिस पुल की घोषणा तत्कालीन सांसद माधवराव सिंधिया ने की थी। 1987 में इस पुल का निर्माण शुरू हुआ और 1991 में स्वयं माधवराव सिंधिया ने इस पुल को ग्वालियर के लिए समर्पित किया। ग्वालियर शहर के बुजुर्ग बताते हैं कि यह पुल माधवराव सिंधिया ने बनवाया है। कई तो अभी भी यही मानते हैं कि जमीन और पुल सिंधिया के पैसों से बना था जो जनहित के लिए सरकार को दान कर दिया गया। इस दावे के बाद पता चलता है कि पुल सरकारी पैसे से बना था। जमीन का मामला विवादित है वह सरकारी है या सिंधिया परिवार की इसका फैसला तो कोर्ट में ही होगा।
33 साल बाद दावा क्यों किया, माधवराव सिंधिया ने मुआवजा क्यों नहीं मांगा
जमीन सिंधिया राजपरिवार की है या सरकारी इसका फैसला तो कोर्ट में होगा परंतु एक सवाल तत्काल उपस्थित होता है। यदि जमीन सिंधिया राजपरिवार की थी तो फिर अधिग्रहण से पहले माधवराव सिंधिया ने मुआवजा क्यों नहीं मांगा। वह इतने कमजोर किसान तो नहीं थे कि सरकार उनकी जमीन हड़प ली और वह कुछ ना कर पाए। अधिग्रहण के बाद पुल का निर्माण 1987 में शुरू हुआ था। एक बड़ा सवाल यह भी है कि यदि सरकार ने सिंधिया राजपरिवार की जमीन पर कब्जा करके पुल बना लिया था तो फिर माधवराव सिंधिया ने इसका लोकार्पण क्यों किया।