भोपाल। राजेन्द्र प्रसाद पटेल दिव्यांग है तथा शासकीय महाविद्यालय उमरिया में अर्थशास्त्र विषय के अतिथिविद्वान थे। कृषक परिवार के राजेन्द्र ने अपनी सीमित शारीरिक क्षमताओं के बावजूद मेहनत करके इस उद्देश्य से उच्च शिक्षा हासिल की जिससे एक सफल शिक्षक के रूप में खुद को स्थापित कर सके, किन्तु एक माह पूर्व हुई सहायक प्राध्यापको की नियुक्ति के कारण उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। यही नही पिछले 8 माह से वेतन न मिलने से उनके आर्थिक हालात बदहाल हो चुके हैं।
राजेन्द्र पटेल का कहना है कि दिव्यांग होने के कारण मैं मेहनत मजदूरी भी नहीं कर सकता। सरकार की गलत नीति के कारण उच्च शिक्षा ग्रहण करना सब बेकार गया। अब मेरे सामने आत्महत्या या भीख मांगने के अलावा कोई रास्ता नही बचा है। माता पिता का मुंह देख कर आत्महत्या भी नहीं कर सकता। इसलिए अब मैं भीख मांगने को मजबूर हूँ। इस सरकार ने मुझे कहीं का नही छोड़ा है। लगभग यही कहानी एक अन्य दिव्यांग अतिथिविद्वान सुरेश कुमार विमल की है। कामलनाथ सरकार के गलत नीति के कारण अब तक न जाने कितने अतिथिविद्वान अपनी नौकरी से हाथ धो चुके है। किंतु सरकार ने अब तक मदद का कोई हाथ उनकी ओर नही बढ़ाया है। शाहजहानी पार्क में आंदोलन का हिस्सा बने ये दिव्यांग अतिथिविद्वान भीख मांगने को मजबूर है।
अनिश्चय भविष्य के साथ पारिवारिक ज़िम्मेदारियों का दंश
दिव्यांग अतिथिविद्वानों के साथ साथ पंडाल में ऐसे कई अतिथिविद्वान भी मौजूद है जिन्हें अपने अतिश्चित भविष्य के साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों भी उठानी पड़ रही है। शाहजहानी पार्क भोपाल में एक 52 वर्षीय महिला अतिथिविद्वान पिछले 43 दिनों से आंदोलन कर रही है, की सरकार जाग जाए व उनकी जायज़ मांग को मानकर शायद उसका नियमितीकरण कर दे। विदित हो कि बुज़ुर्ग हो चुकीं इस महिला अतिथिविद्वान की बेटी की शादी आगामी फरवरी माह में होना है किंतु बच्ची की शादी की तैयारी के स्थान पर मां अपना स्वयं का भविष्य नष्ट होने से बचाने हेतु संघर्ष करने को मजबूर है। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह के अनुसार राहुल गांधी तथा कमलनाथ सरकार के नियमितिकरण के वचन के बाद भी अतिथिविद्वान आज बदहाल हालात में ज़िंदगी बसर हर रहे है अनिश्चित भविष्य ने अतिथिविद्वानो को समाप्ति के कगार पर पहुँचा दिया है।
43 दिनों से लगातार जारी है आंदोलन
शाहजहांनी पार्क भोपाल में अतिथिविद्वानों के आंदोलन का आज 43 वां दिन पूरा हो गया। इस बीच अतिथिविद्वानों ने कड़ाके की ठंड के साथ मौसम की हर मार झेली किन्तु अपने लक्ष्य से अतिथिविद्वान भटके नही। मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार 43 दिनों से जारी हमारा ये आंदोलन कांग्रेस सरकार के वचनपत्र में दिए गए वचन पर ही आधारित है। हमने कोई नई मांग सरकार के समक्ष नही रखी है। अतः जब तक हमारी माँगे मानी नही जाती ये आंदोलन अनवरत जारी रहेगा।