जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज (Netaji Subhash Chandra Bose Medical College) से पढ़ाई करने के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में सेवा का बांड भरने के बाद गायब हो जाने वाले आठ सौ से ज्यादा डॉक्टरों की प्रेक्टिस बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। कॉलेज को जांच में वर्ष 2002 से 2018 के बीच के कई विद्यार्थी बांड का उल्लंघन करते मिले हैं। इन डॉक्टरों ने पढ़ाई के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने का बांड जमा किया। लेकिन डिग्री लेने के बाद अपनी-अपनी निजी प्रेक्टिस शुरू कर दी। कुछ ने अस्पतालों में नौकरी ज्वाइन कर ली।
निर्धारित समय तक ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं नहीं दी। स्नातक से स्नातकोत्तर में पढ़ाई के दौरान प्रति विद्यार्थी 3-10 लाख रुपए तक रूरल बांड भराया जाता है। ये राशि भी डॉक्टरों ने जमा नहीं की। मेडिकल कॉलेज ने रूरल बांड का उल्लंघन करने वाले विद्यार्थियों की सूची तैयार कर ली है। इन विद्यार्थियों को दो बार रूरल बांड की पूर्ति के लिए नोटिस जारी किया जा चुका है। लेकिन नोटिस के बाद भी करीब नौ सो डॉक्टरों ने कोई जवाब नहीं दिया। ऐसे डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के लिए अब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र लिखने की तैयारी की जा रही है। रजिस्ट्रेशन नंबर के जरिए रूरल बांड जमा नहीं करने वाले डॉक्टरों का ब्योरा भी जुटाया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में तय समय तक सेवा नहीं देने वाले डॉक्टरों के मामले में 22 जनवरी को चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख अधिकारियों की बैठक होने जा रही है। बैठक में नोटिस के दायरे में आए सभी डॉक्टरों के प्रकरण पर चर्चा होगी। इसमें लापरवाही और अनदेखी करने वाले डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के लिए एमसीआइ को कार्रवाई के संबंध में अंतिम निर्णय होगा। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. पीके कसार ने रूरल बांड की अवहलेना करने वाले डॉक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई के संबंध में बैठक आयोजित किए जाने की पुष्टि की है।