भोपाल।संपदा संचालनालय ने 96 पुलिसकर्मियों को मकान खाली करने का नोटिस दिया है। इन कर्मचारियों को अगले महीने मकान खाली करना होंगे। वहीं गृह विभाग पिछले चार साल में पुलिसकर्मियों को किए गए मकान आवंटन की जांच भी शुरू कर रहा है। विभाग के अफसरों को आशंका है कि इन सालों में भी मकानों का फर्जी आवंटन हुआ है। मंत्रालय में गृह विभाग में पदस्थ लिपिक राहुल खरते (Rahul Khate, clerk posted in Home Department) ने मुख्यमंत्री की फर्जी नोटशीट बनाकर पुलिसकर्मियों को मकान आवंटित कर दिए थे।
आरोपित लिपिक खरते मुख्यमंत्री की फर्जी नोटशीट तैयार कर पुलिसकर्मियों को मकान आवंटित करता था। जांच में यह भी सामने आ चुका है कि खरते प्रत्येक मकान के आवंटन पर 70 हजार या उससे भी ज्यादा राशि लेता था। आरोपित मकान आवंटन लेटर पर गृह विभाग के सचिव के फर्जी हस्ताक्षर करता था। चूंकि मुख्यमंत्री की नोटशीट पर बिना किसी पड़ताल के मकान आवंटित किया जाता रहा है, इसलिए मकान आवंटित हो जाता था। पिछले साल यह मामला सामने आया। इसके लिए गृह विभाग ने वर्ष 2018 और 2019 में पुलिसकर्मियों को आवंटित किए गए मकानों की जांच करवाई थी। इसमें वर्ष 2018 में 25 और वर्ष 2019 में 66 मकानों का आवंटन पाया गया है। मकान लेने वाले कर्मचारियों को संपदा संचालनालय ने नोटिस भेज दिए हैं। इस मामले में मकान लेने वाले पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई संभावित थी, जिसे फिलहाल रोक दिया गया है। इस मामले में लिपिक खरते के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। खरते वर्तमान में जेल में है।
विभाग पिछले चार साल (वर्ष 2014 से 2017 के बीच) पुलिसकर्मियों को आवंटित मकानों की जांच भी शुरू करने की तैयारी कर रहा है। गृह विभाग के अफसरों को इसमें भी गड़बड़ी होने की आश्ांका है। दरअसल, लिपिक खरते इस अवधि में मंत्रालय में तैनात था। माना जा रहा है कि इस रैकेट में संपदा संचालनालय सहित कुछ अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं।