भोपाल। अतिथिविद्वानों ने विपरीत परिस्थितियों में प्रदेश की उच्च शिक्षा को संभाला है। अपने जीवन की युवावस्था के स्वर्णिम वर्ष देने के बाद आज कई अतिथिविद्वान ओवर ऐज हो चुके हैं। अब उनके भविष्य के संरक्षण की ज़िम्मेदारी सरकार की है। हालांकि वर्तमान कांग्रेस सरकार का वचनपत्र अतिथिविद्वानों के पक्ष में है। मज़बूत राजनैतिक इच्छा शक्ति से यदि सरकार और उच्च शिक्षा विभाग चाहे तो अतिथिविद्वानों के नियमितीकरण का रास्ता आसानी से निकाला जा सकता है। उक्त उद्गार भोपाल स्थित शाहजहानी पार्क में चल रहे अतिथिविद्वानों के आंदोलन में अपना समर्थंन देने पहुँचें उच्च शिक्षा विभाग के सेवानिवृत्त अतिरिक्त संचालक डॉ राधावल्लभ शर्मा ने व्यक्त किये।
डॉ शर्मा ने कहा कि पूर्व में भी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने तदर्थ व आपाती भर्ती के माध्यम से सहायक प्राध्यापक के पद पर नियमित नियुक्ति दी थी। व वर्तमान में कार्यरत अतिथिविद्वान उच्च शिक्षित एवं अनुभवी है। व पद के अनुरूप सभी योग्यताएं धारित करते हैं।
सुपरन्यूमनरेरी पदों के माध्यम से अतिथिविद्वानों की नियमित नियुक्ति संभव- डॉ यूसी जैन
अतिथिविद्वानों के आंदोलन में उनका समर्थन कर के पहुचे पुर्व शिक्षाविद एवं अधिकारी डॉ यूसी जैन ने कहा कि सरकार चाहे तो सुपरन्यूमनरेरी पदों का निर्माण करके अतिथिविद्वानों का नियमितीकरण आसानी से किया जा सकता है। पूर्व में भी आपाती सहायक प्राध्यापक के पदों पर नियमित नियुक्ति देते हुए सरकार ने इस प्रकार की व्यवस्था की थी। ज़रूरत केवल मज़बूत राजनैतिक इक्षाशक्ति की है। धरने को संबोधित करते हुए सेवानिवृत्त एडी उच्च शिक्षा डॉ शर्मा ने कहा कि नियमितीकरण का विषय वचनपत्र में होने के कारण सरकार की प्राथमिकता के विषयों में भी शामिल है। सरकार इस विषय ओर जल्द गौर कर सकती है।
आंदोलन ने पूरे किये एक माह
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा में संयोजकद्वय डॉ देवराज सिंह एवं डॉ सुरजीत भदौरिया ने कहा कि अतिथिविद्वानों ने भोपाल स्थित शाहजहानी पार्क में आंदोलन करते हुए एक माह का समय पूरा कर लिया है। इस बीच हमारे सामने कई कठिनाइयां आई हैं लेकिन हमने हौसले और हिम्मत से सारी कठिनाइयों को पार किया है। हम सरकार से केवल वचनपत्र अनुसार अतिथिविद्वानों के नियमितीकरण की मांग करते हैं। अतिथिविद्वानों ने बदहाल स्थिति में काम करते हुए प्रदेश की उच्च शिक्षा को संवारा है। बिना किसी छुट्टी अथवा सरकारी सुविधाओं के अतिथिविद्वानों ने कार्य किया है। अब सरकार अपना वचन पूरा करके अतिथिविद्वानों के भविष्य को संरक्षित करें।