भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पिछले 37 दिनों से लगातार धरना दे रहे अतिथि विद्वानों का मामला उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य कर्मचारी आयोग को सौंप दिया है। अब इस मामले में कर्मचारी आयोग ही सारे तथ्य एकत्रित कर अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण को लेकर प्रतिवेदन तैयार करेगा। आयोग अतिथि विद्वानों के बारे में अपनी सिफारिशें उच्च शिक्षा विभाग को भेजेगा। इसके बाद विभाग अतिथि विद्वानों को लेकर फैसला लेगा।
कर्मचारी आयोग के दायरे में नहीं आते अतिथि विद्वान
हालांकि धरना दे रहे अतिथि विद्वानों ने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है। उनका कहना है कि कर्मचारी आयोग का गठन तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए हुआ है। अतिथि विद्वान इस आयोग के दायरे में नहीं आते हैं। उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव संजीव कुमार जैन ने मंगलवार को आदेश जारी कर अतिथि विद्वानों का मामला राज्य कर्मचारी आयोग को सौंप दिया है। इस आदेश के मुताबिक अतिथि विद्वानों की ओर से दिए गए मांग पत्रों पर कर्मचारी आयोग विचार करेगा। अब आयोग ही इस संबंध में आगे निर्णय लेकर विभाग को अपनी सिफारिशें देगा। आयोग को शासन के नियमों के साथ-साथ अतिथि विद्वानों को लेकर दिए गए न्यायालयों के निर्णयों को भी ध्यान में रखने के लिए कहा है।
सरकार मामले को उलझाने की कोशिश कर रही है: अतिथि विद्वान
वहीं इस मामले में अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. देवराज सिंह का कहना है कि सरकार बिना वजह मामले को उलझा रही है। कर्मचारी आयोग का गठन तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की समस्या हल करने के लिए हुआ है। हम तो उसके दायरे में ही नहीं आते हैं। विभाग को सीधे हमारा नियमितीकरण करते हुए आदेश जारी कर देना चाहिए।
च्वाइस फिलिंग फिलहाल शुरू नहीं होगी
उच्च शिक्षा विभाग की ओर से घोषित कार्यक्रम के मुताबिक कॉलेज से निकाले गए अतिथि विद्वानों की दोबारा भर्ती के लिए 9 जनवरी से च्वाइस फिलिंग शुरू होनी थी। लेकिन अब पांच दिन बाद विभाग ने आदेश जारी किया है कि तकनीकी कारणों के निराकरण के बाद ही च्वाइस फिलिंग शुरू की जाएगी।