भोपाल। सारा मध्य प्रदेश जब गणतंत्र दिवस समारोह में झूम रहा था तब राजधानी भोपाल के शाहजहानी पार्क में मौजूद दो हजार से ज्यादा अतिथि विद्वान मुख्यमंत्री कमलनाथ का संदेश ध्यान पूर्वक सुन रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि इस संदेश में उनका भी जिक्र हुआ परंतु जब उन्हें निराशा हाथ लगी तो उन्होंने सामूहिक रूप से फांसी लगाकर, अपनी स्थिति का प्रदर्शन किया। बता दें कि शाहजहानी पार्क में पिछले 48 दिनों से अतिथि विद्वान धरने पर बैठे हैं। उनकी मांग केवल इतनी है कि कमलनाथ सरकार ने कैबिनेट में जो फैसला लिया है उसका लिखित आदेश भी जारी कर दे।
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने कहा है कि 26 जनवरी को भारतीय संविधान को पूरे देश में लागू किया गया था, किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि उच्च शिक्षित होते हुए भी अतिथिविद्वान इस देश मे दोयम दर्जे के नागरिक हैं। शायद इसीलिए भोपाल का शाहजहानी पार्क अघोषित रूप से सरकार का "डिटेंशन सेंटर" बन गया है। जहां अतिथि विद्वान पिछले 50 दिनों से सरकार की बेरुखी और संवेदनहीनता रूपी प्रताड़ना सह रहे हैं। क्योंकि इसी पंडाल में कड़ाके की ठंड व अत्यधिक शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना के कारण एक महिला अतिथिविद्वान की जान चली गयी, एक महिला अतिथिविद्वान का गर्भपात हुआ व कई महिला अतिथिविद्वान गंभीर रूप से बीमार हुई हैं।
शाहजहानी पार्क में फहराया गया राष्ट्रीय ध्वज
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया ने बताया कि गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर आज शाहजहानी पार्क में अतिथिविद्वानों के पंडाल में चर्चित एनजीओ गाँधी आलय विचार सेवा संघ के अध्यक्ष व समाजसेवी चंद्रशेखर सिंह राणा ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया इसके पश्चात राष्ट्रगान व संविधान की उद्देशिका का वाचन किया गया। इस अवसर पर संघ के पदाधिकारी व लगभग 2000 अतिथिविद्वानों ने उक्त कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
शाहीन बाग की चिंता लेकिन शाहजहानी पार्क को पूरी कांग्रेस
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता डॉ मंसूर अली के अनुसार कांग्रेस पार्टी की ये अस्पष्ट नीति का ही परिणाम है कि आज देश मे शाहीन बाग़ के साथ-साथ मध्यप्रदेश के शाहजहानी पार्क की चर्चा है। कांग्रेस पार्टी को शाहीन बाग़ के लिए समय है लेकिन शाहजहांनी पार्क को कांग्रेस पार्टी द्वारा भुला दिया गया है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि संविधान रक्षा का नारा देने वाली पार्टी आज स्वयं अतिथिविद्वानो के अधिकारों और अपने कर्तव्यों को नज़रअंदाज़ कर रही है। जबकि स्पष्ट रूप से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अतिथिविद्वानो को नियमित करने का वचन विधानसभा चुनाव पूर्व कांग्रेस के वचनपत्र में दिया था।
सांकेतिक रूप से फांसी के फंदे पर लटक जताया विरोध
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार जहां 26 जनवरी राष्ट्रीय पर्व में सुअवसर पर सरकार क़ैदियों से भी अच्छा व्यवहार करके उनकी सज़ा कम करती है। किन्तु इस सरकार ने अतिथिविद्वानों के साथ अपराधियों से भी बदतर सलूक किया है। जो सज़ा कांग्रेस की सरकार ने अतिथिविद्वानों को दी है वह अमानवीय एवं असहनीय है। हम लगातार 48 दिनों से इस पार्क में खुले आसमान तले समय काट रहे है, किन्तु अब तक मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं मंत्री जीतू पटवारी को हमारी दुर्दशा पर तरस नही आया है। लगता है नेतागण अतिथिविद्वानों की मृत्यु की प्रतीक्षा में है। गणतंत्र दिवस की पावन बेला पर कई कांग्रेसी नेता अतिथिविद्वानों के पंडाल में पहुंच कर अतिथिविद्वानों की मांगों का समर्थं किया। कांग्रेस नेताओं में प्रमुख रूप से फूल सिंह बरैया के अलावा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव जसवीर गुर्जर तथा सिद्धार्थ मोरे शामिल हैं।