भोपाल। भोपाल स्थित शाहजाहानी पार्क में चल रहे प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कार्यरत अतिथिविद्वान अपने अनगिनत साथियों के असमय काल कवलित हो जाने से गहरे सदमे में हैं। हाल यह है कि एक के बाद एक हो रही मौतों ने अतिथि विद्वानो को शारीरिक और मानसिक तौर पर तोड़ कर रख दिया है। लगातार 52 दिनों से लगातार आंदोलनरत अतिथिविद्वान पिछले 8 माह से वेतन न दिए जाने और लगभग 2700 साथियों के सेवा से बाहर कर दिए जाने से शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक रूप से टूट चुके हैं।
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह एवं डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार अतिथिविद्वानों की लगातार हो रही मौतें एवं उनका गंभीर शारीरिक और मानसिक व्याधियों से ग्रसित होना सामान्य नही है, बल्कि यह एक लंबे समय से चली आ रही प्रताड़ना का दुष्परिणाम है। शोषणकारी अतिथि विद्वान व्यवस्था ने एक के बाद एक कई अतिथिविद्वानों को असमय खत्म कर दिया है। अतिथिविद्वानों की मौतों के साथ साथ खत्म हुई है उनके परिवार की सारी आशायें और स्वर्णिम भविष्य के सपने। कांग्रेस सरकार ने वचनपत्र में लुभावने वादे करके सत्ता तो हासिल कर ली, किन्तु सत्ता प्राप्ति के बाद जनता और वचनपत्र के प्रति अपनी जवाबदेही को कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री कमलनाथ भूल गए है।
अतिथिविद्वानों ने लगाया रक्तदान शिविर
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता डॉ मंसूर अली के अनुसार अतिथिविद्वानों ने आज दिनांक को शाहजहांनी पार्क भोपाल में प्रातः 10 बजे से एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है। जिसमें पंडाल में बड़ी संख्या में उपस्थित अतिथिविद्वान भोपाल गैस पीड़ितों एवं थैलेसेमिया जैसी घातक बीमारी से जूझ रहे लगभग 350 बच्चों के लिए रक्तदान करके समाज को एक संदेश देने का प्रयास किया।
दिवंगत अतिथिविद्वान व उनके परिजनों को दी गई श्रद्धांजलि
मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान तथा डॉ आशीष पांडेय के अनुसार शाहजहांनी पार्क भोपाल में स्थित पंडाल में दिवंगत अतिथिविद्वान डॉ समी खरे व अतिथिविद्वान राजकुमार अहिरवार के पुत्र काव्यांश को दो मिनट का मौन रखकर मृतात्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की गई। सारे अतिथिविद्वान अपने साथियों और उनके परिजनों की असमय मृत्यु से बेहद दुखी एवं सदमे में हैं। किंतु प्रदेश सरकार की संवेदनशीलता का आलम यह है अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने अतिथिविद्वानों का हाल जानने की कोशिश नही की है।