भोपाल। प्रति छः माह में मिलने वाले मूल्य सूचकांक आधारित डीए/डीआर और सातवें वेतनमान के आधार पर संशोधित एचआर पर निर्णय में विलंब से प्रदेश में "कर्मचारियों एवं पेंशनरों" को आर्थिक परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। "मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ" के प्रांताध्यक्ष श्री प्रमोद तिवारी एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि जनवरी 2020 से केंद्रीय कर्मचारियों को बढ़ती महंगाई के चलते मूल्य सूचकांक आधारित डीए/डीआर चार फीसदी बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है, केंद्र सरकार के निकट भविष्य में निर्णय लेने से 17 से बढ़कर 21 फीसदी हो जाएगा।
विडम्बना है कि मप्र सरकार ने पिछले जुलाई से लंबित 5% डीए/डीआर को विगत छः महीने से लंबित रखकर कर्मचारियों/पेंशनरों को 12% पर रोकने से 9% पीछे होने एवं सातवें वेतनमान के आधार पर गृह भाड़ा भत्ता एवं अन्य प्रासंगिक लाभ पर अनिर्णय से कर्मचारियों एवं पेंशनरों को हजारों रूपये माहवार आर्थिक नुकसान होने से गहरी नाराजगी व आक्रोश व्याप्त हैं। "मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ" प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री कमलनाथ जी एवं वित्त मंत्री माननीय श्रीमान तरूण जी भनोट से मांग करता है कि लंबित डीए/डीआर एवं सातवें वेतनमान के आधार पर एचआर एवं प्रासंगिक लाभ प्रदान कर केंद्रीय कर्मचारियों के साथ ही राज्य कर्मचारियों को डीए/डीआर प्रदेश के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ जारी एक ही आदेश से भुगतान किये जावे।
डीआर भुगतान में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की सहमति की प्रत्याशा में अनावश्यक विलंब होता है, इसमें संशोधन किया जावे व आवश्यक हो तो केंद्र सरकार से हस्तक्षेप के लिए राज्य गठन प्रावधानों में संशोधन के प्रस्ताव भेजकर प्रभावी पहल की जावे, ताकि उक्त सहमति के लिए राज्य स्वतंत्र फैसला ले सके । इससे प्रदेश कर्मचारी के साथ पेंशनर एक साथ लाभान्वित हो सकेंगे।