भोपाल पुलिस ने निर्दोष लड़कों को रेप एंड मर्डर केस में जेल भेज दिया: DNA रिपोर्ट से खुलासा | BHOPAL NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्य प्रदेश के सागर फॉरेंसिक लैब (जिसकी रिपोर्ट के बेस पर पिछले डेढ़ साल में 29 लोगों को सजा-ए-मौत दी गई) की डीएनए रिपोर्ट बता रही है कि भोपाल की मनुआभान टेकरी में हुए आठवीं की छात्रा के रेप और मर्डर मामले में भोपाल पुलिस ने जिन लड़कों को दोषी मानते हुए जेल भेज दिया है, दरअसल वह निर्दोष है। लड़की का रेप और हत्या किसी और ने की है। भोपाल पुलिस अब तक उसका पता नहीं लगा पाई है। मासूम बच्ची के हत्यारे खुले घूम रहे हैं। DNA रिपोर्ट नेगेटिव आई है। इनके ब्लड और सीमन का छात्रा के शरीर से लिए गए सेंपल से मिलान नहीं हुआ है। छात्रा के शरीर में आरोपियों के बजाए किसी दूसरे के सीमन पाए गए।

मामला क्या है
30 अप्रैल 2019 को छात्रा अपनी हमउम्र रिश्तेदार के साथ मनुआभान टेकरी पर घूमने गई थी फिर वापस नहीं आई। तलाश करने पर लड़की की लाश झाड़ियों में छुपी हुई मिली। मेडिकल रिपोर्ट के बाद पता चला कि लड़की के साथ पहले बलात्कार हुआ फिर उसकी हत्या कर दी गई। भोपाल की कोहेफिजा थाना पुलिस ने रेप और हत्या का मामला दर्ज कर अविनाश साहू और जस्टिन राज को आरोपी बनाया। पुलिस ने कुल 45 लोगों को बतौर गवाह दर्ज किया। डीएनए रिपोर्ट के लिए दोनों आरोपियों और लड़की के शव से सैंपल लेकर सागर फॉरेंसिक रिपोर्ट भेजे गए। इसके बाद अचानक पुलिस का रुख बदल गया। पुलिस ने सागर फॉरेंसिक लैब से आई रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया। सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त हुई एक जानकारी में पता चला कि पुलिस ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि सागर फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट नेगेटिव आई है।

सागर फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट को गलत मान रही है भोपाल पुलिस

आरटीआई से मिली जानकारी में खुलासा हुआ कि दोनों ही डीएनए रिपोर्ट का मिलान नहीं हुआ और रिपोर्ट निगेटिव आई। निगेटिव रिपोर्ट आते ही अफसरों ने रिपोर्ट को दबा दिया। 21 अगस्त 2019 को भोपाल पुलिस ने आरोपी एवं मृत छात्रा के सैंपल हैदराबाद फॉरेंसिक लैब भेजे परंतु हैदराबाद फॉरेंसिक लैब में वेटिंग ज्यादा होने के कारण सैंपल दिल्ली फॉरेंसिक लैब भेज दिए गए। भोपाल पुलिस अब दिल्ली से मनचाही रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। कुल मिलाकर भोपाल पुलिस सागर फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट को गलत मान रही है। यहां बता दें कि 2018 से लेकर मई 2019 तक इसी फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट के आधार पर 29 लोगों को सजा-ए-मौत दी जा चुकी है।

शिवराज सिंह चौहान ने दिया था धरना

इस मामले में अभी तक न्याय न मिलने पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पुलिस को आड़े हाथों लिया था। वो पीड़ित परिवार के साथ धरने पर बैठे थे। इस मामले में कोहेफिजा थाना पुलिस ने छात्रा के शरीर पर मिले शुक्राणु के आधार पर दो लोगों को आरोपी बनाया था। इसमें अविनाश साहू और जस्टिन राज के (सीमन), वैजाइनल स्वाब और ब्लड सैंपल की डीएनए जांच के लिए सागर भेजे गए थे।

कोर्ट में भोपाल पुलिस ने क्या कहा

डीएनए रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अफसरों ने रिपोर्ट को दबा दिया। इसलिए चालान पेश करने में देरी होती गई। पुलिस ने इस घटना में 45 गवाह बनाए हैं। पूरी तफ्तीश कर 16 जून को चालान कोर्ट में पेश किया गया था। पुलिस ने न्यायालय में तर्क दिया कि दो बार डीएनए सैंपल सागर लैब भेजे गए थे, जो खराब हो गए। पुलिस अगर निगेटिव डीएनए रिपोर्ट को न्यायालय में पेश कर देती है, तो निश्चित ही दोनों आरोपियों को जमानत मिलना तय है। अब पुलिस कानून के जानकारों की मदद ले रही है।

उलझ गई भोपाल पुलिस

फिलहाल भोपाल पुलिस अब अपनी कार्रवाई में खुद उलझती हुई नजर आ रही है। न्याय की आस में बैठे पीड़ित परिजन अपनी बेटी के कातिलों को सज़ा मिलने के इंतज़ार में हैं, लेकिन इस रिपोर्ट के बाद तो अब ये ही नहीं समझ आ रहा है कि आख़िर आरोपी है कौन। पुलिस को इस मामले में नए सिरे से छानबीन करनी पड़ेगी। 

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