भोपाल। मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष प्रमोद तिवारी, प्रांतीय उपाध्यक्ष/सचिव कन्हैयालाल लक्षकार/यशवंत जोशी ने शासन से मांग की है कि लंबे समय से प्रदेश के विभिन्न विभागों में हजारों कर्मचारी पदोन्नति के इंतजार में मूल पदों से ही सेवानिवृत हो रहे हैं। वर्तमान में "पदोन्नति" प्रकरण माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन होने से प्रतिबंधित है।
अध्यापक संवर्ग को 2012-13 में पदोन्नति व जुलाई 2018 से नवीन शिक्षक संवर्ग के रूप में संविलियन स्कूल शिक्षा विभाग में हो चुका है । नियमित शिक्षक संवर्ग जो 1995-96 से डाईंग केडर(मृत संवर्ग) तृतीय क्रमोन्नति वेतनमान प्राप्त होकर भी मूल पदों पर कार्यरत को 2012-13 से पूर्व पदोन्नति पदनाम देते हुए वरिष्ठता प्रदान किया जाकर उत्पन्न विसंगति को तकनीकी रूप से दूर किया जाना न्यायोचित होगा।
विडंबना है कि प्रदेश में "पदोन्नति" माननीय सर्वोच्च न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने से प्रतिबंधित है । माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति प्रकरण का निराकरण कब होगा, इसका जवाब कोई नहीं दे सकता है । सेवानिवृत के पूर्व प्रदेश सरकार वरिष्ठता व पदनाम तो दे ही सकती हैं । इससे शिक्षक कर्मचारी तो लाभान्वित होंगे ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय का भी मान बरकरार रहेगा कमलनाथ सरकार की वचन पूर्ति भी होगी व आर्थिक भार भी नहीं आयेगा । "हींग लगे न फिटकरी और रंग चौखा आए।"