जानिए क्या होता है पुलिस कमिश्नर सिस्टम जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में लागू होने वाला है | GK IN HINDI

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित हुई एक बैठक में फैसला ले लिया गया है कि पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किया जाएगा। मध्यप्रदेश में इसकी घोषणा 15 अगस्त 2019 को होने वाली थी, किन्हीं कारणों से टल गई अब 26 जनवरी 2020 को मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नर सिस्टम की घोषणा हो जाएगी। महाराष्ट्र में पहले से ही पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू है। यह जानते हैं क्या होता है पुलिस कमिश्नर सिस्टम और मौजूदा व्यवस्था से यह किस तरह अलग होगा: 

क्या है पुलिस कमिश्नर सिस्टम | What is police commissioner system

बता दें कि भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट (जो कि एक IAS अफसर होता है) के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार होते हैं लेकिन पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो जाने से ये अधिकार पुलिस अफसरों को मिल जाते हैं। सरल भाषा में कहा जाए तो जिले में कानून और व्यवस्था की स्थिति के लिए जो पावर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों (कलेक्टर एंड डिस्टिक मजिस्ट्रेट) के पास होती है, वह जिले के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी (भारतीय पुलिस सेवा) के पास ट्रांसफर हो जाती है।

कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों (मजिस्ट्रेट) के पास पावर होते हैं

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CRPC), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) को भी कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियां प्रदान करता है। इसके अनुसार पुलिस अधिकारी सीधे कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के तहत ही कार्य करते हैं, आम तौर से IPC और CRPC के सभी अधिकार जिले का DM वहां तैनात PCS अधिकारियों को दे देता है।

भारत में पुलिस कमिश्नर सिस्टम कब से शुरू हुआ | When did the police commissioner system start in India

कमिश्नर व्यवस्था में पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद है। ये व्यवस्था कई महानगरों में है। दरअसल हमें ये व्यवस्था आजादी के बाद विरासत में मिली। वास्तव में ये व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने की है। तब ये सिस्टम कोलकाता, मुंबई और चेन्नई (तब के कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास) में थी। इन शहरों को उस दौर में प्रेसीडेंसी शहर कहा जाता था। बाद में उन्हें महानगरीय शहरों के रूप में जाना जाने लगा। इन शहरों में पुलिस व्यवस्था तत्कालीन आधुनिक पुलिस प्रणाली के जैसी थी।

क्या पुलिस कमिश्नर के पास ज्यूडिशियल पॉवर भी होते हैं | Does the police commissioner also have judicial power

कमिश्नरी सिस्टम में पुलिस कमिश्नर को ज्यूडिशियल पॉवर भी होती हैं। बता दें कि इन महानगरों के अलावा पूरे देश में पुलिस प्रणाली पुलिस अधिनियम, 1861 पर आधारित थी और आज भी ज्यादातर शहरों की पुलिस प्रणाली इसी अधिनियम पर आधारित है।

पुलिस कमिश्नर सिस्टम क्यों लागू किया गया | Why the police commissioner system was implemented

इसे लागू करने के पीछे एक वजह ये होती है कि अक्सर बड़े महानगरों में क्राइम रेट ज्यादा होता है। एमरजेंसी हालात में भी पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते। इससे ये स्थितियां जल्दी नहीं संभल पातीं। कमिश्नरी सिस्टम से पुलिस कमिश्नर के पास CRPC के तहत कई अधिकार आ जाते हैं। इस व्यवस्था में पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए खुद ही मजिस्ट्रेट की भूमिका निभाती है। ऐसा माना जाता है कि पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई खुद कर सकेगी तो अपराधियों के मन में डर जगेगा और क्राइम रेट घटेगा।
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