धरती, जमीन या पृथ्वी पर हम अपने आसपास कई गड्ढे देखते हैं। कभी कुएं, कभी बावड़ी, कभी हैंडपंप तो कभी ट्यूबेल। आपने भी मानव या मशीनों से खोदे गए कई गहरे गड्ढे देखे होंगे परंतु क्या कभी यह प्रश्न मन में आया है कि पृथ्वी पर कितना गहरा गड्ढा खोदा जा सकता है। यदि लगातार खुदाई की गई तो क्या होगा। क्या कोई इतना गहरा गड्ढा खोदा जा सकता है है जो पृथ्वी के आर पार हो जाए। दुनिया के कुछ वैज्ञानिकों ने इस प्रश्न का उत्तर जानने की कोशिश की थी। आइए हम आपको दुनिया के इस सबसे रोचक रहस्य के बारे में बताते हैं।
धरती पर सबसे गहरा गड्ढा कहां खोदा गया था
पृथ्वी पर सबसे गहरा गड्डा रूस में 1989 में खोदा गया था। इसे Kola Superdeep Borehole नाम दिया गया। मानव एवं मशीन द्वारा निर्मित दुनिया के सबसे गहरे गड्ढे की गहराई 12262 मीटर थी। उस गहराई में टेंपरेचर 180 डिग्री तक पहुंच गया जिसकी वजह से बोरहोल खोदने का काम बंद कर दिया गया था। इससे भी आगे हाल ही में एक तेल का कुआं रूस में ही खोदा गया जिसकी गहराई 12376 मीटर है। लेकिन यह गड्ढे इतने गहरे नहीं है जो पृथ्वी के आर पार हो पाए। यह गड्ढे पृथ्वी के आर पार करने के लिए जरूरी दूरी का सिर्फ 2% से भी कम है। अगर पृथ्वी के आरपार छेद करना है तो 12742 किलोमीटर का फासला तय करना होगा। जबकि यह गड्ढे मात्र 12000 मीटर के हैं।
धरती के सबसे गहरे गड्ढे में क्या मिला, क्या आज भी उसे देख सकते हैं
पृथ्वी के सबसे ऊपर कि जो लेयर होती है वही 70 किलोमीटर गहरी होती है। हमारी पृथ्वी का केंद्र 6371 किलोमीटर गहरा हैं और यदि इतनी गहराई तक हम कोई भी गड्ढा खोद सकें तो पृथ्वी के ऊपरी सतह से पृथ्वी के केंद्र तक पहुंचने में हमें 1 घंटा 45 मिनट का समय लग जाएगा। हकीकत यही है कि आधुनिक टेक्नोलॉजी अभी इतनी विकसित नही है कि हम इतनी गहराई तक कभी पहुँच पाएं।
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