मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पास स्थित है सांची। वैसे तो यह एक कस्बा है जो विदिशा शहर के पास स्थित है और रायसेन जिले में आता है। यहां कुछ स्तूप बने हुए हैं जो विश्व प्रसिद्ध है। दूर से देखने पर वह पत्थर से बने हुए सामान निर्माण दिखाई देते हैं। सवाल यह है कि सांची के स्तूप में ऐसा क्या है जो यह विश्व प्रसिद्ध हो गया। आइए जानते हैं:
सांची स्तूप का निर्माण किसने कराया था
सम्राट अशोक ने सांची में एक धार्मिक केंद्र की नींव रखी थी। सांची का चुनाव सम्राट अशोक ने शायद इसलिए किया क्योंकि उनकी पत्नी (जिनका नाम रानी देवी था) विदिशा के व्यापारी की बेटी थी और सांची विदिशा के पास यानी सम्राट अशोक की ससुराल के पास स्थित है लेकिन यह विश्व प्रसिद्ध इसलिए नहीं है क्योंकि इसे सम्राट अशोक ने बनवाया था बल्कि इसलिए है क्योंकि यह भारत की सबसे पुरानी पत्थर की संरचना है। ऐसे 14 वीं शताब्दी में बनाया गया था।
400 साल तक कोई देखभाल नहीं होगी फिर भी कुछ नहीं बिगड़ा
चौदहवीं शताब्दी में निर्माण के बाद सांची के स्तूप की देखभाल किसी ने नहीं की। 1818 तक सांची के स्तूप निर्जन वन क्षेत्र में रहे। अंग्रेज अधिकारी जनरल टेलर ने सांची के स्तूप खोज निकाले। 1919 में सर जॉन मार्शल ने यहां एक संग्रहालय का निर्माण कराया और इसके बाद से ही यहां आवाजाही शुरू हुई। आज सांची दुनिया भर में रहने वाले बौद्ध अनुयायियों के लिए आस्था का केंद्र है।