JITU PATWARI ने विभाग की निर्माण ऐेजेंसी बदली, नीयत पर संदेह | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने विभाग की निर्माण ऐजेंसी को बदल दिया है। मध्यप्रदेश की स्थापना से लेकर अब तक सरकारी कॉलेज भवनों का निर्माण PWD यानी लोक निर्माण विभाग द्वारा कराया जाता रहा है परंतु आप पीडब्ल्यूडी को उच्च शिक्षा विभाग के कॉलेज भवनों को बनाने का काम नहीं दिया जाएगा। आरोप है कि पीडब्ल्यूडी निर्धारित समय पर काम पूरा करने में असफल रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि एमपी हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट की नई कंस्ट्रक्शन एजेंसी एमपी हाउसिंग बोर्ड होगी। बता दें कि हाउसिंग बोर्ड अपने खुद के प्रोजेक्ट कभी समय पर पूरे नहीं कर पाते।

200 सरकारी कॉलेज भवनों का निर्माण होना है 

बता दें कि मध्य प्रदेश में करीब 200 कॉलेज भवनों का निर्माण होना है। प्रिया काफी बड़ा प्रोजेक्ट है। उच्च शिक्षा विभाग ने वर्षों पुरानी व्यवस्था में बदलाव करते हुए राज्य के 200 सरकारी कॉलेजों की भवनों के निर्माण की जिम्मेदारी हाउसिंग बोर्ड को देने का निर्णय लिया है। हाउसिंग बोर्ड यहां निर्माण के अन्य कार्य भी करेगा। साथ ही बीडीए भी निर्माण कार्य कर सकेगा।

उच्च शिक्षा विभाग की दलील

वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट के तहत सरकारी कॉलेज भवन निर्माण के लिए करोड़ों रुपए की राशि मिलती है, लेकिन समय पर भवन निर्माण न होने के कारण ये राशि लैप्स होने का खतरा रहता है। लैप्स हुई राशि को दोबारा हासिल कर पाना आसान नहीं होता है। इसके लिए कड़ी मशक्कत करनी होती है। इस कवायद से बचने के लिए विभाग ने निर्माण एजेंसी ही बदल देने का निर्णय लिया है।

पीडब्ल्यूडी से काम क्यों छीना

पीडब्ल्यूडी के पास प्रदेशभर में सड़क बनाने से लेकर सारे सरकारी निर्माण कार्य होते हैं। इस वजह से पीडब्ल्यूडी उच्च शिक्षा विभाग के भवन निर्माण करने में लगातार असफल हो रहा था। प्राचार्य पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से चर्चा करते हैं तो उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहता है। विभाग ने इसके साथ ही निर्देश दिए हैं कि हाउसिंग बोर्ड निर्माण कार्य करने के साथ ही समय सीमा में उसे पूरा भी करें। इसके अलावा एक कमेटी भी रहेगी जो यह निर्माण कार्यों का निरीक्षण करती रहेगी। 

उच्च शिक्षा विभाग के फैसले में क्या कमी है 

दरअसल उच्च शिक्षा विभाग में लोक निर्माण विभाग से काम छीन कर मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड को दिया है। अब तक का रिकॉर्ड देखें तो मध्य प्रदेश का हाउसिंग बोर्ड अपने खुद के शुरू किए गए ज्यादातर प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं कर पाया। व्यवहारिक रूप से देखें तो निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी हो या हाउसिंग बोर्ड निर्माण कार्य ठेकेदार को ही करना होता है। सरकारी विभाग की तरफ से जल्दी भुगतान किया जाता है, एजेंसियां उतनी ही तेजी से काम करती है। मध्यप्रदेश में एजेंसी के नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता। अब यह अनुसंधान का विषय हो सकता है कि उच्च शिक्षा विभाग ने लापरवाही के नाम पर पीडब्ल्यूडी से काम छीन कर उससे भी ज्यादा लापरवाही आरोपी हाउसिंग बोर्ड को निर्माण काम क्यों दिया।

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