भोपाल। उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी के लिए तनाव देने वाली खबर है। अतिथि विद्वानों और अतिथि शिक्षकों के बाद अब मध्यप्रदेश के सरकारी कॉलेजों में पिछले 20 साल से सेवाएं दे रहे जनभागीदारी कर्मचारी आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। इन कर्मचारियों की भी वही मांगे हैं जो अतिथि विद्वानों की है। जनभागीदारी कर्मचारी संघ भी मुख्यमंत्री कमलनाथ से चुनाव पूर्व दिए गए वचन की पूर्ति चाहता है।
कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तोमर ने बताया कि, प्रदेश के महाविद्यालयों में जनभागीदारी एवं अन्य निधि से करीबन 3591 तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पद रिक्त है, इन रिक्त पदों पर जनभागीदारी एवं अन्य निधि से कर्मचारी कार्यरत है। कार्यरत गैर शैक्षणिक तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की अनार्थिक मांगों को पूरा नही करने एवं आयुक्त् उच्चशिक्षा कार्यालय से आदेश जारी नही होने से संगठन अब धरना प्रदर्शन और आंदोलन का रुख कर रहा है।
कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सुनील तोमर ने जानकारी देते हुए बताया कि सामान्य प्रशासन के पत्र दिनांक 7 अक्टूबर 2016 द्वारा प्रदेश के समस्त दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को स्थायी कर्मी योजना से लाभान्वित करने के निर्देश है एवं बहुत से विभागों में इस योजना से कर्मचारियों को लाभाविन्त किया जा चुका है, किंतु उच्च शिक्षा विभाग में जनभागीदारी एवं अन्य मदो से कार्यरत कर्मचारियों को अभी तक लाभान्वित नही किया है, एवं आज दिनाक तक शासन की कल्याणकारी योजनाओं से प्रदेश भर के कर्मचारी को लाभ से वंचित रखा है।
उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश भर में जनभागीदारी एवं अन्य मदो से कार्यरत कर्मचारियों की जानकारी ऑनलाइन एवं ऑफ़लाइन भी एकत्रित की गई, किन्तु उच्चशिक्षा विभाग द्वारा अभी तक कर्मचारियों के पक्ष में आदेश जारी नही होने से कर्मचारी संगठन में नाराजगी है। दिनांक 23.03.2019 को माननीय मुख्यमंत्री जी एवं मुख्य सचिव के साथ गैर मान्यता प्राप्त 15 कर्मचारी संगठनों की बैठक हुई थी जिसमें मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को संबंधित विभागों से कर्मचारियों को लाभान्वित किए जाने हेतु प्रस्ताव तैयार कराने के निर्देश दिए थे।
उप सचिव, मुख्य सचिव कार्यालय की नोटशीट क्रमांक 2572 दिनांक 08.04.2019 जारी कर उच्च शिक्षा विभाग को प्रस्ताव तैयार करने भेजी गई थी, किंतु उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा मामले को गंभीरता से नही लिया गया एवं कर्मचारियों के हितो को अनदेखा किया गया। साथ ही वित्त मंत्री की टीप क्र 88 दिनांक 05.03.2019 के परिपालन में अवर सचिव, मध्यप्रदेश शासन, वित्त विभाग मंत्रालय के पत्र क्र 749 दिनांक 10 मई 2019 द्वारा उच्च शिक्षा विभाग के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों/श्रमिको को स्थायी कर्मी योजना से लाभान्वित किये जाने हेतु अभिमत चाहा गया था, किन्तु उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा किसी भी पत्र, नोटशीट को गंभीरता पूर्वक संज्ञान में नही लिया गया एवं भ्रामक जानकारी दी जाती रही।
मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, वित्त विभाग, मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री जीतू पटवारी, उर्जा मंत्री प्रियवत सिंह, ग्रामोद्योग कुटीर उद्योग मंत्री हर्ष यादव सहित प्रदेश भर के विधायक ने इन कर्मचारियों के हित मे नोटशीट और अनुशंसा पत्र लिखे हैं। किन्तु आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग भोपाल के द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालयो, वरिष्ठ कार्यालयों एवं अधिकारियों सहित मंत्रियों को भ्रामक एवं गलत जानकारियां देकर गुमराह किया है जिससे कर्मचारी वर्ग लाभाविन्त होने से वंचित रहा। नियमों की व्याख्या लाभ पहुंचाने के लिए की जानी चाहिए किन्तु उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी नियमों की व्याख्या लाभ से वंचित करने के लिए करते हैं। जिससे प्रदेश भर के जनभागीदारी एवं अन्य निधि के कार्यरत कर्मचारी आज दिनांक तक शासन की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह गए।
प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय कमलनाथजी, मुख्य सचिव जी, उच्चशिक्षा मंत्री पटवारी जी, अन्य विभागों के माननीय मंत्री एवं वित्त विभाग मध्यप्रदेश शासन एवं उच्च शिक्षा मंत्रालय भी प्रदेश भर के महाविद्यालय में जनभागीदारी/स्ववित्तीय/स्वशासी एवं अन्य मदो से कार्यरत कर्मचारियों को स्थायी कर्मी योजनाओ से लाभान्वित करने की स्पष्ठ मंशा है लेकिन कार्यालय आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग भोपाल द्वारा प्रस्ताव तैयार नही किये जाने के कारण प्रदेश भर के कर्मचारी आज भी आदेश जारी होने की प्रत्याशा में है।
अनार्थिक मांगे है, नही आयेगा वित्तीय भार
कर्मचारी संघ के प्रांतीय सचिव त्रिलोक जाटव ने बताया कि हमारी एकमात्र अनार्थिक मांग है, जिससे शासन पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नही आयेगा उच्च शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित विश्वविद्यालयों में स्थानीय निधियों से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को स्थायी कर्मी घोषित किया गया है, इसी प्रकार नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अन्तर्गत स्थानीय निधियों से कर्मचारियों का विनियमितिकरण किया गया है इन्ही की भांति शासकीय महाविद्यालयों में स्थानीय निधियों से कार्यरत कर्मचारियेां को भी शासन की कल्याणकारी योजनाओं से लाभाविन्त करने से शासन पर कोई वित्तीय भार नही आयगा। किन्तु उच्चशिक्षा विभाग द्वारा प्रस्ताव नही भेजे जाने के कारण कर्मचारी हित मे आदेश प्रसारित नही होने से प्रदेश भर के कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
यशाशीघ्र जारी किया जावे स्थायीकर्मी का आदेश
जनभागीदारी कर्मचारी संगठन के प्रदेश मीडिया प्रभारी नरेन्द्र कुमार परमार द्वारा कहा कि प्रदेश भर के कर्मचारियों को स्थायीकर्मी योजना से लाभाविन्त कर शासन की मंशा अनुसार शासन की कल्याणकारी योजना से कर्मचारियों को लाभ प्रदान करते हुए आयुक्त उच्चशिक्षा कार्यालय माननीय मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव एवं उच्च शिक्षा मंत्री एवं अन्य मंत्री, विधायों द्वारा जारी नोटशीट तथा पत्रों पर कार्यवाही कर यथाशीघ्र आदेश जारी करे।
आयुक्त कार्यालय द्वारा क्यों नही भेजे गये प्रस्ताव
प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय कमलनाथजी, मुख्य सचिव, उच्चशिक्षा मंत्री पटवारी जी, अन्य विभागों के माननीय मंत्री, विधायक एवं वित्त विभाग मध्यप्रदेश शासन एवं उच्च शिक्षा मंत्रालय भी प्रदेश भर के शासकीय महाविद्यालय में जनभागीदारी/स्ववित्तीय/स्वशासी एवं अन्य स्थानीय निधियों से कार्यरत कर्मचारियों को स्थायी कर्मी योजनाओ से लाभान्वित करने की स्पष्ठ मंशा है, किन्तु कार्यालय आयुक्त उच्च शिक्षा भोपाल द्वारा प्रस्ताव न भेजा जाना एवं आदेश जारी न करना शासन की मंशाओं के विपरीत है।