ग्वालियर। सरकारी सिस्टम में कमियों और भ्रष्टाचार को उजागर करना किसी जमाने में प्रशंसा का कारण हुआ करता था परंतु अब जीविका के लिए भी हानिकारक हो गया है। ग्वालियर में नगर निगम की एक कंप्यूटर ऑपरेटर को सिर्फ इसलिए सेवा से निष्कासित कर दिया गया क्योंकि उसने स्वच्छता सर्वेक्षण घोटाले का खुलासा कर दिया था। आरटीआई के जरिए हासिल किए गए दस्तावेजों के आधार पर वह दावा कर रहा है कि इंदौर को नंबर वन और भोपाल को नंबर 2 का अवार्ड गलत मिला है। यह एक सुनियोजित भ्रष्टाचार का परिणाम है।
ग्वालियर नगर निगम को उसका हक दिलाने के लिए शुरू की थी
संदीप शर्मा नगर निगम ग्वालियर में विनियमित कर्मचारी होकर कम्प्यूटर ऑपरेटर है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में देश में ग्वालियर 59वें पायदान पर जा पहुंचा था। संदीप ने सूचना का अधिकार कानून के तहत इंदौर, भोपाल सहित देश के कुछ अन्य शहरों के स्वच्छता सर्वेक्षण का दस्तावेज निकलवाए। इसमें बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। यह फर्जीवाड़ा स्वच्छता सर्वेक्षण एजेन्सी क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) तथा कार्वी की टीमों का करना पाया।
ग्वालियर नगर निगम को न्याय दिलाने केंद्र सरकार से शिकायत की
चूंकि ग्वालियर 2018 में 28वें पायदान से नीचे गिरकर 2019 में 59वें नंबर पर पहुंचा इसलिए सदीप ने फर्जीवाड़े की शिकायत केन्द्र सरकार से की। केन्द्र सरकार ने इसकी जांच का जिम्मा केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को सौप दिया। फर्जीवाड़े का मामला गंभीर है। इसमें कई अधिकारी घेरे में आ सकते हैं।
विभाग के आला अधिकारी दुश्मन बन गए, नौकरी से निकाल दिया
स्वच्छता सर्वेक्षण घोटाले का खुलासा हो जाने के बाद कार्रवाई के डर से नगरीय प्रशासन विभाग के आला अधिकारी संदीप शर्मा के दुश्मन बन बैठे। उसके रिकॉर्ड की छानबीन शुरू कर दी गई। उसके बाद नियमितीकरण के लिए झूठी जानकारी देने का आरोप लगाकर संदीप शर्मा की सेवाएं समाप्त कर दी गई।