भोपाल। मप्र स्कूल शिक्षा विभाग ने वित्त विभाग की सहमति से नियमानुसार शिक्षकों को अवकाश काल में कर्तव्यारूढ़ होने पर अर्जित अवकाश व तीस वर्ष सेवाकाल पूर्ण होने पर तृतीय क्रमोन्नति वेतनमान स्वीकृत किया है । मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि प्रदेश के उज्जैन, इंदौर सहित कतिपय संभागों के जिला शिक्षा अधिकारियों एवं संभागीय संयुक्त संचालक पेंशन कोषालेखा अधिकारियों की जुगलबंदी के चलते शिक्षकों को स्पष्ट आदेश के बावजूद मार्गदर्शन की आड़ में योग्यता का अड़ंगा लगाकर तृतीय क्रमोन्नति वेतनमान पर गलत आपत्ति दर्ज कर प्रकरण रोके भी जा रहे हैं व भ्रष्टाचार के सहारे स्वीकृत भी किये जा रहें है।
शिक्षक संवर्ग को द्वितीय क्रमोन्नति के समय ही श्री डीपी दुबे तात्कालिन आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय ने आदेश क्रमांक/स्था-3/क्रमोन्नति/598 भोपाल दिनांक 04 अप्रैल 2002 से स्पष्ट किया था कि "क्रमोन्नति वेतनमान देने में योग्यता कोई बंधनकारी नहीं है ।" इसी प्रकार वित्त विभाग के आदेश क्रमांक एफ-2/2006/नियम-4 दिनांक 13 अगस्त 2008 एवं आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश क्रमांक/वित्त/आडिट/अ/2016/99, भोपाल दिनांक 20 अप्रैल 2016 में कहा गया है कि अवकाश काल में शिक्षकों को अत्यावश्यक होने पर कर्तव्यारूढ़ करने के लिए अर्जित अवकाश स्वीकृत किया जाता है । कर्तव्यारूढ़ रहते शिक्षकों को आठ दिवस तक जिला शिक्षा अधिकारी, पंद्रह दिवस तक कलेक्टर व पंद्रह से अधिक अर्जित अवकाश की पात्रता के लिए प्रकरण आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल से अनुमोदित होना चाहिए।
मतलब साफ है शिक्षकों को अवकाश काल में कर्तव्यारूढ़ करने के लिए उक्तानुसार सहमति व अनुमोदन की आवश्यकता है न कि अर्जित अवकाश स्वीकृत के लिए । उक्त व्यवस्थानुसार शिक्षकों के कर्तव्यारूढ़ होने पर संकुल प्राचार्य,आहरण संवितरण अधिकारी द्वारा अर्जित अवकाश स्वीकृत कर सेवापुस्तिका में प्रविष्टी कर सेवानिवृत पर नियमानुसार भुगतान करना होता है । इसकी गलत व्याख्या कर वर्ष 2008 के बाद से सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों को जिला शिक्षा/कोषालय अधिकारियों द्वारा परेशान कर चांदी काटी जा रही हैं, जो बदस्तूर जारी है।
शासनादेश से निर्वाचन में, सूखाग्रस्त क्षेत्रों में एमडीएम संचालन, राज्य शिक्षा केंद, आयुक्त लोक शिक्षण से विभिन्न सर्वे ग्राम/नगर शिक्षा रजिस्टर अद्यतन हेतु अवकाश अवधि में कर्तव्यारूढ़ शिक्षकों के अर्जित अवकाश स्वीकृत करना लगभग बंद कर दिया गया है वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की खुली नाफरमानी व अवमानना है । ये स्थिति शिक्षकों के लिए नुकसानदेह होने के साथ इनमें भारी नाराजगी व आक्रोश व्याप्त हैं।
"मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ" श्रीमती जय श्री कियावत आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल से मांग करता है कि तृतीय क्रमोन्नति वेतनमान एवं अर्जित अवकाश स्वीकृत की गलत व्याख्या कर जिलों में शिक्षकों/सेवानिवृत शिक्षकों को बेजा परेशान किया जा रहा है अतः तत्काल हस्तक्षेप कर व्यवस्था सुधार हेतु स्पष्ट निर्देश के साथ प्रकरणों के निराकरण के लिए समय-सीमा तय कर जवाबदेही सुनिश्चित की जावे।