भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मनचाहे पदों पर तबादले कराकर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी अब सरकार के लिए समस्याएं पैदा करने लगे हैं। होशंगाबाद में कलेक्टर ने एसडीएम को बंधक बना लिया था। राजगढ़ में महिला कलेक्टर ने रैली निकाल रहे भाजपा नेताओं के साथ मारपीट की और अब सीहोर जिले की तहसील आष्टा एसडीएम अंजू विश्वकर्मा ने एक विशेष मंदिर के लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाकर गृह मंत्रालय के आदेश को सांप्रदायिक रंग दे दिया है।
सबसे पहले पढ़िए लाउडस्पीकर के मामले में गृह मंत्रालय का आदेश क्या है
मध्य प्रदेश के गृह मंत्रालय की ओर से सभी कलेक्टर और एसपी को एक आदेश जारी किया गया है। इसमें मध्य प्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 के हवाले से कहा गया है कि तय समय में ही लाउड स्पीकर्स चलाए जाएं और साउंड भी निर्धारित मापडंद के मुताबिक हो। इस संबंध में पहले से जारी दिशा निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ध्वनि प्रसारण यंत्रों के उपयोग पर सख्ती से पाबंदी लगाई जाए। नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
तहसील आष्टा में केवल मंदिर पर प्रतिबंध लगाया गया
सीहोर जिले की तहसील आष्टा में एसडीएम अंजू विश्वकर्मा ने गृह मंत्रालय के इस आदेश का अपने तरीके से पालन कराया। उन्होंने सभी धार्मिक प्रतिष्ठानों के पुजारियों को आमंत्रित करने के बजाय केवल प्राचीन शिव मंदिर के पुजारी हेमंत गिरी को तलब किया और बताया कि शासन की ओर से आदेश आए हैं आप रात 10:00 बजे के बाद और सुबह 6:00 बजे के पहले लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं कर सकते। बता दें कि इस मंदिर में सूर्योदय से पहले भस्म आरती होती है। यह दशकों पुरानी परंपरा है। प्रशासन के इस रवैया से मामला बिगड़ गया।
भाजपा को एक बार मुद्दा मिला, सरकार बैकफुट पर
सीहोर जिले की तहसील आष्टा में हुई इस कार्रवाई के बाद भारतीय जनता पार्टी को एक और मुद्दा मिल गया है। गृह मंत्रालय ने अपने पत्र में किसी भी धार्मिक प्रतिष्ठान की बात नहीं लिखी है परंतु सीहोर प्रशासन ने केवल मंदिर के लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाकर भारतीय जनता पार्टी को एक मुद्दा उपलब्ध करा दिया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे तत्काल लपक लिया। उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से तीखा सवाल किया है कि क्या हुआ ऐसा ही प्रतिबंध सभी धर्मों के प्रतिष्ठानों पर लगाएंगे।