भोपाल। आरक्षण के कारण अटके प्रमोशन का सॉल्यूशन कमलनाथ सरकार ने निकाल लिया है। मध्यप्रदेश में पदनाम परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मध्य प्रदेश में उन सभी उपयंत्रियों को सहायक यंत्री पदनाम दिया जाएगा जो कार्यपालन यंत्री का वेतनमान प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे सभी उपयंत्रियों का सेवाकाल 28 साल पूरा हो चुका है।
सिर्फ पद नाम बदलेगा पावर नहीं
इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग कैबिनेट में प्रस्ताव लाने जा रहा है। इसमें इंजीनियरों को सिर्फ सहायक यंत्री का पदनाम मिलेगा। वित्तीय और तकनीकी स्वीकृति के अधिकार नहीं रहेंगे। इसका फायदा लोनिवि, पीएचई, जल संसाधन और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के इंजीनियरों को मिलेगा।
लंबे समय से कर रहे थे मांग
प्रदेश के विभिन्न विभागों में पदस्थ डिप्लोमा इंजीनियर लंबे समय से पदनाम परिवर्तन की मांग कर रहे थे। सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी की बैठक में इस पर सहमति बनी थी कि यदि वित्तीय भार नहीं आ रहा है तो फिर पदनाम दिया जा सकता है। डिप्लोमा इंजीनियरों का कहना है कि कई उपयंत्रियों को 28 साल की सेवा पूरी करने पर कार्यपालन यंत्रियों के बराबर वेतन मिल रहा है।
आरक्षण मामले से अटकी पदोन्नति
दरअसल पदोन्न्ति में आरक्षण का मामला चलने की वजह से पदोन्न्तियां अटकी हुई हैं। ऐसे में कम से कम पदनाम तो दे ही दिया जाए। सरकार भी इस तर्क से सहमत है, क्योंकि इससे कोई अतिरिक्त भार नहीं आना है। इसे ध्यान में रखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने 28 साल की सेवा पूरी करने वाले उपयंत्रियों को सहायक यंत्री पदनाम देने का प्रस्ताव तैयार किया है। यह सुविधा सिर्फ एक बार दी जाएगी।
इन्हें नहीं मिलेगा पदनाम भी
सहायक यंत्री का पदनाम भी उन इंजीनियरों को नहीं दिया जाएगा, जिनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है या फिर गोपनीय प्रतिवेदन (सीआर) खराब है। पदनाम परिवर्तन के बाद भी इंजीनियर उपयंत्री के तौर पर ही काम करते रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक संक्षेपिका पर विभागीय मंत्री डॉ.गोविंद सिंह ने सहमति जता दी है। इसे वित्त, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, जल संसाधन और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के अभिमत के लिए भेजा गया है।