भोपाल। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा में भील जनजाति से संबंधित सवाल पर बवाल शुरू हो गया है। राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा में भील जनजाति को अपराधियों और शराबियों की जनजाति बनाया गया। अब इसका विरोध शुरू हो गया है। भील समाज के नेताओं का कहना है कि हमारे समाज ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी है। हम आतंकवादी नहीं क्रांतिकारी हैं। लोक सेवा आयोग के उन सभी अधिकारियों के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने की मांग की जा रही है जिन्होंने यह पेपर सेट किया।
मध्य प्रदेश के खंडवा में भाजपा विधायक राम दांगोरे राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा देने गए थे। विधायक राम दांगोरे भील जनजाति से आते हैं और अपने समाज की प्रतिभाशाली छात्रों को फ्री में लोक सेवा आयोग व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां कराते हैं। निशुल्क कोचिंग चलाते हैं। बाहर निकल कर उन्होंने बताया कि राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा में भील जनजाति को लेकर आपत्तिजनक सवाल पूछा गया है। बाद में उन्होंने भील समाज के लोगों के साथ काला कपड़ा लहराकर सूबे की कमलनाथ सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बीजेपी विधायक दांगोरे ने मांग की है कि जिसने भी यह प्रश्नपत्र तैयार किया है उसे तत्काल बर्खास्त किया जाए और एट्रोसिटी ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए। उन्होंने कहा कि भील समाज ने देश की आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और प्रश्नपत्र में आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं।
जनरल एप्टि्यूट के पेपर में था आपत्तिजनक सवाल
रविवार को एमपीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा पूरे प्रदेशभर में आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के द्वितीय पाली में जनरल एप्टि्यूट का पेपर था। इसमें गद्यांश के आधार पर प्रश्न पूछे गए थे। इसमें भील जनजाति पर एक गद्यांश था। गद्यांश में लिखा गया है कि भीलों की आपराधिक प्रवृत्ति का भी एक प्रमुख कारण यह है कि सामान्य आय से अपनी देनदारियां पूरी नहीं कर पाता। फलत: धन उपार्जन की आशा में गैर वैधानिक तथा अनैतिक कामों में भी संलिप्त हो जाते हैं। इसी गद्यांश पर पांच सवाल पूछ गए थे। इनमें से तीन सवाल ऐसे हैं, जिसपर हंगामा मच गया है।