इंदौर। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा में परीक्षाएं संपन्न हो जाने के बाद रिजल्ट आने से पहले कमलनाथ सरकार में सामान्य श्रेणी के पदों को आरक्षित कर दिया। यह स्पष्ट रूप से आरक्षण घोटाला है। संस्थान विज्ञापन में घोषित पदों की संख्या बढ़ा सकता है परंतु आरक्षण का फार्मूला नहीं बदला जा सकता। इस मामले में लोक सेवा आयोग ने आरक्षण का फार्मूला बदल दिया।
लोक सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन में वित्त विभाग में कुल 88 पद रिक्त हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार इसमें से 44 पद सामान्य श्रेणी के लिए होना चाहिए परंतु लोक सेवा आयोग ने अपना ही आरक्षण फार्मूला लगाया और मात्र 30 पद सामान्य श्रेणी में रखे। अब परीक्षाएं संपन्न हो जाने के बाद शासन ने अनारक्षित श्रेणी के 30 पदों को घटाकर 21 कर दिया है। इसी तरह सहायक संचालक खाद आपूर्ति अधिकारी के 2 पद रिक्त थे। इनमें से एक सामान्य श्रेणी और दूसरा अनुसूचित जनजाति के लिए था। शासन ने सामान्य श्रेणी का पद जीरो कर दिया है। यानी इस पद हेतु 100% आरक्षण लागू हो गया।
लोक सेवा आयोग की सचिव का बेतुका बयान
इस मामले में जब इंदौर के पत्रकारों ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की सचिव रेणु पंत से आरक्षण फार्मूले में परिवर्तन का कारण पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि वर्गवार पदों की संख्या क्यों बदली, यह शासन से पूछा जाना चाहिए। हम तो जैसा शासन कहता है, वैसा करते हैं। कितनी अजीब बात है भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जिनकी जिम्मेदारी है कि वह नियमों का पालन करें एवं दूसरों से करवाएं। जिनकी जिम्मेदारी है कि वह सरकार के दबाव में आए बिना न्याय संगत कार्रवाई करें एक कलर की तरह जवाब दे रही है।