भोपाल। मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा रविवार दिनांक 12 जनवरी 2020 को आयोजित राज्य सेवा परीक्षा में पूछे गए विवादित प्रश्न की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने ट्वीट करके यह भी कहा कि परीक्षा को लेकर काफी शिकायतें आई हैं और दोषियों को दंड मिलना चाहिए। बता दें कि राज्य सेवा परीक्षा में भील जनजाति को लेकर आपत्तिजनक प्रश्न पूछा गया था।
इस मामले को खंडवा के भाजपा विधायक राम दांगोरे ने उठाया था। इसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया। देश भर की मीडिया एवं एक्टिविस्ट ने इस मामले में सवाल जवाब किए। कांग्रेस के कई विधायक एवं कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने भी इस सवाल को गलत माना। लोगों ने लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष भास्कर चौबे एवं सचिव रेणु पंत को बर्खास्त करने और उनके खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने की मांग की थी।
शिवराज ने की पुस्तक पर प्रतिबंध की मांग
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर सरकार से पीएससी की परीक्षा में भील जनजाति को लेकर की टिप्पणी को आदिवासी समाज का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि यह निंदनीय है। उन्होंने कहा कि जिसने यह प्रश्न पत्र बनाया है, यह उसके विचार है और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाना चाहिए। यह अंश जिस पुस्तक से लिए गए हैं, उस पुस्तक पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। साथ ही उस पुस्तक के लेखक पर भी कार्रवाई की जाना चाहिए।
जिम्मेदार लोगों की भूमिका की जांच होगी
मप्र कांग्रेस कमेटी की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने पीएससी परीक्षा में भील समुदाय के संदर्भ में पूछे गए प्रश्न को पूरी तरह गैर जिम्मेदाराना, तथ्यहीन व निंदनीय बताया। इस मामले में उन्होंने कहा है कि सरकार जिम्मेदार लोगों तथा अधिकारियों की भूमिका की जांच कर कड़ी दंडात्मक कार्रवाई करेगी। ओझा ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम में बिरसा मुंडा, टंट्या भील और वीर नारायण सिंह जैसे आदिवासी महानायकों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
यह गलती कैसे हो गई, मैं पता करवाता हूं
वहीं इंदौर में प्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन पीएससी परीक्षा में भील जाति पर आपत्तिजनक सवाल पर बोले- यह नहीं होना चाहिए था। यह गलती कैसे हो गई, मैं पता करवाता हूं। मैं खुद अनुसूचित जाति से हूं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के बयान उनकी बौखलाहट को दर्शा रहे हैं। हमारी सरकार हर मोर्चे पर बेहतर कार्य कर रही है। आम आदमी को राहत मिल रही है।