भोपाल। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2019 बच्चों के खेल जैसी हो गई है। बार-बार खेल के नियम बदल रहे हैं। कभी आरक्षण का फार्मूला चेंज होता है तो कभी पदों की संख्या बदल रही है। रिक्त पदों की संख्या बढ़ाई जा रही है इसलिए विरोध नहीं हो रहा परंतु बात तो यह भी गलत ही है। इधर हाई कोर्ट द्वारा पिछड़ा वर्ग के 27% आरक्षण पर रोक लगाए जाने के बाद OBC उम्मीदवारों को 28 पदों का नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को 27% आरक्षण का वचन दिया था।
मप्र लोक सेवा आयोग ने कितने पद बढ़ाए, रिक्त पदों की कुल संख्या कितनी हो गई
गौरतलब है कि 12 जनवरी को पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की गई थी। उसमें कुछ सवाल सही नहीं थे, ऐसे प्रश्नों को लेकर आपत्ति बुलाई थी। आयोग ने इस पर क्या निर्णय लिया, इसका खुलासा नहीं हो सका है। आयोग ने इसी परीक्षा के लिए तीसरी बाद पदों की संख्या बढ़ाई है। सहायक संचालक खाद्य, आपूर्ति अधिकारी का 1-1 पद बढ़ाया है, इसमें 1 पद एसटी के लिए और दूसरा EWS यानी सामान्य गरीब के लिए आरक्षित किया है। वहीं लेखा सेवा के 88 पद बढ़ाए गए हैं। अभी तक रिक्त पदों की संख्या 540 थी जो अब बढ़कर 630 हो गई है।
हाई कोर्ट के स्टे के बाद ओबीसी के लिए अब 82 पद कम हो जाएंगे
जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस परीक्षा में पदों के आरक्षण के मामले में ओबीसी के लिए 82 पद कम हो जाएंगे। 90 पद बढ़ने के बाद ओबीसी के लिए सिर्फ 88 पद ही आरक्षित रह सकेंगे। इसकी वजह यह है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब इन्हें 27 नहीं, बल्कि 14% आरक्षण ही मिल सकेगा। मामले में ओबीसी, एससी-एसटी एकता मंच, अपाक्स सहित अन्य संगठनों ने राज्य सरकार के रवैये पर कड़ा ऐतराज जाहिर किया है।