NIYAZ KHAN IAS ने मोदी सरकार और भाजपा नेताओं पर तंज कसा | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी इन दिनों पॉलिटिकल की तरह व्यवहार और बयान देते ज्यादा नजर आ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने मध्यप्रदेश में अपनी बात जनता तक पहुंचाने के लिए और भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी सरकार की निंदा करने के लिए प्रवक्ताओं की फौज खड़ी कर रही है लेकिन मध्य प्रदेश काडर के आईएएस अफसर कांग्रेस प्रवक्ता के पद पर पार्ट टाइम जॉब कर रहे हैं। हाल ही में मंडला कलेक्टर जगदीश जटिया ने भारत के नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सोशल मीडिया पर बयानबाजी की थी अब एक और आईएएस अफसर नियाज खान ने नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर तंज कसा है। 

सिर्फ ईमानदार लोगों को ही भारत का नागरिक होना चाहिए: नियाज खान IAS

कमलनाथ सरकार में पर्यावरण विभाग के उपसचिव नियाज खान IAS ने भ्रष्ट सरकारी अफसरों के खिलाफ NRC (भारत का नागरिकता रजिस्टर) लाने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक पोस्ट लिखा है। उन्होंने लिखा, 'भारत के एक नागरिक और एक लेखक के रूप में मैं माननीय प्रधानमंत्री से इस बात पर विचार करने का अनुरोध करता हूं। यह समय की तत्काल जरूरत है। केवल ईमानदार लोगों को ही देश का नागरिक होना चाहिए। 

भ्रष्ट लोग खुद को सबसे बड़ा देशभक्त बताते हैं: नियाज खान आईएएस

मेरा विश्वास है, अगर इसे सच्चे दिल से निष्पादित किया जाता है, तो सरकारी प्राधिकरण के साथ अधिकांश सार्वजनिक पद खाली हो जाएंगे। ईमानदार लोगों को राष्ट्र की सेवा करने का अवसर मिल सकता है। जो भी भ्रष्ट है उसे नागरिक होने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है, ऐसे भ्रष्ट लोग खुद को सबसे बड़ा देशभक्त बताते हैं। अगर ऐसे लोग नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स से बाहर निकाल दिए जाते हैं तो देश स्वच्छ होगा। एनआरसी उन सभी लोगों के खिलाफ होनी चाहिए जो सरकारी धन की चोरी करते हैं। राष्ट्र का हर पैसा गरीब नागरिकों का है जो रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यहां तक ​​कि बच्चों के पास खुद को ढंकने के लिए कोई कपड़ा नहीं है। सरकारी शक्तियों वाले भ्रष्ट लोग इनकी गरीबी के लिए जिम्मेदार हैं।

सेलिब्रिटी की तरह सनसनी फैलाने में माहिर है नियाज खान IAS 

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नियाज खान सेलिब्रिटी और पॉलीटिकल लीडर्स की तरह सनसनी फैलाने में माहिर है। अक्सर कुछ ना कुछ ऐसा कर देते हैं जो उन्हें सुर्खियों में ला देता है। इससे पहले उन्होंने मंत्रालय में उनके वरिष्ठ अधिकारी द्वारा अभद्र व्यवहार को बताने के किये ट्विटर का सहारा लिया था। इस घटना के बारे में बताते हुए उन्होंने पिछले साल जनवरी में ट्विटर पर लिखा था कि खान सरनेम भूत की तरह उनके पीछे पड़ा हुआ है। वहीं जुलाई में भी उन्होंने ट्विटर पर लिखा था कि वो अपना नाम बदलना चाहते हैं ताकि हिंसक भीड़ से बच सकें।

क्या आईएएस अफसरों को भी अभिव्यक्ति का अधिकार होता है 

भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत भारत के सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गयी है। लेकिन जब भारत का एक नागरिक भारतीय प्रशासनिक सेवा के तहत काम कर रहा होता है तो वह आम नागरिक से अलग होता है। सरकार उसे कुछ विशिष्ट शक्तियां देती है। इसी के साथ उस पर कुछ विशेष किस्म की जिम्मेदारियां भी आती है। उसकी जिम्मेदारियों में केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों को ज़मीनी स्तर पर लागू करना और क्षेत्र में सरकार के एजेंट के रूप में कार्य करना, अर्थात जनता और सरकार के बीच मध्यवर्ती के रूप में कार्य करना प्रमुख है। इससे स्पष्ट होता है कि एक आईएएस अफसर को सरकार की नीतियों की आलोचना करने का अधिकार नहीं है। वह सार्वजनिक रूप से ऐसा कोई भी बयान नहीं दे सकता जो सरकार की छवि को धूमिल करता हो या सरकार के फैसलों के प्रति आम जनता में संदेह उत्पन्न करता हो। सरल शब्दों में यह की एक आईएएस अधिकारी को यह अधिकार बिल्कुल नहीं है कि वह जब चाहे तब अपने आप को एक आम नागरिक बताते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का लाभ उठाए।

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