भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ और मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुके ओबीसी आरक्षण के मामले में सरकार ने हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के खिलाफ प्रार्थना आवेदन दाखिल किया है। सरकार ने हाईकोर्ट से निवेदन किया है कि उसके मामले की तत्काल सुनवाई की जाए। हाई कोर्ट ने 31 जनवरी की तारीख तय की है। इस दिन सरकार अपना पक्ष प्रस्तुत करेगी।
ओबीसी आरक्षण के मामले पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया था और आगामी आदेश तक प्रदेश में बढ़े हुए ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी है। जबलपुर हाईकोर्ट ने ओबीसी के बढ़े हुए 27 प्रतिशत के आरक्षण को चुनौती देने वाली अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए ये अंतरिम आदेश 28 जनवरी मंगलवार को दिया था।
हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अपना विस्तृत पक्ष रखा गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई थी कि प्रदेश में बढ़ा हुआ ओबीसी आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत के विपरीत है। ओबीसी वर्ग को लेकर 1994 में गठित राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग से भी बढ़े हुए आरक्षण को लेकर कोई सिफारिश या फिर रिपोर्ट नहीं मांगी गई थी। वहीं ये दलील भी पेश की गई थी कि 14 प्रतिशत से 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के क्रीमी लेयर के फॉर्मूले को लागू नहीं किया गया, जिससे यह स्पष्ट नहीं होता कि ओबीसी वर्ग में किन जातियों को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा और किन्हें नहीं।
तमाम दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने अंतरिम आदेश देते हुए बढ़े हुए ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग में निकली 400 से अधिक पदों की भर्ती प्रक्रिया में 14 प्रतिशत के हिसाब से आरक्षण देने के आदेश दे दिए थे। मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को नियत की गई थी लेकिन सरकार के प्रार्थना आवेदन दाखिल करने पर सभी मामलों की सुनवाई के लिए 31 जनवरी, शुक्रवार का दिन सुनिश्चित कर दिया है।
बता दें कि, मध्य प्रदेश सरकार ने अक्टूबर 2019 मे प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था। जिसके बाद यह मामला न्यायालय पहुंचा था।