इंदौर। संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर जारी अधिसूचना को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। नियमितीकरण के दायरे में नहीं आ रहे कर्मचारियों ने इस संबंध में याचिका दायर की है। अवकाशकालीन बेंच ने इसकी सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा है कि सिर्फ 50 फीसदी संविदा कर्मचारियों का नियमितिकरण क्यों किया जा रहा है, सबका क्यों नहीं। शासन को छह सप्ताह में इसका जवाब देना है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है। इसके तहत सिर्फ 50 फीसदी कर्मचारियों को ही नियमित करने की योजना है। इसके चलते प्रदेश के सैकड़ों कर्मचारी, जो 15 साल से ज्यादा समय से कार्यरत हैं, नियमितीकरण से वंचित रह जाएंगे।
नगर निगम इंदौर में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन में सामुदायिक संगठक के पद पर पदस्थ सोनाली पाटील व अन्य ने एडवोकेट मनीष यादव के माध्यम से इस अधिसूचना को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की। इसमें मांग की है कि उक्त अधिसूचना को निरस्त किया जाए और सभी संविदाकर्मियों को नियमित करने के आदेश दिए जाएं।
अवकाशकालीन बेंच में जस्टिस वीरेंदरसिंह और जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने याचिका की सुनवाई की। एडवोकेट यादव ने तर्क रखा कि सरकार द्वारा शत-प्रतिशत संविदाकर्मियों को नियमित करने का प्रस्ताव भेजा गया था। इसके साथ ही दस प्रतिशत पद प्रतिवर्ष भरे जाने का भी प्रस्ताव था। इन प्रस्तावों को दरकिनार करते हुए केवल 50 फीसदी कर्मचारियों को नियमित किया जा रहा है।
ऐसा हुआ तो प्रदेश के सैकड़ों कर्मचारी, जो सालों से नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं, वे नियमितीकरण से वंचित रह जाएंगे। कोर्ट ने आरंभिक तर्कों से सहमत होते हुए शासन को नोटिस जारी कर इस संबंध में छह सप्ताह में जवाब मांगा है।