भोपाल। मध्य प्रदेश के करीब 1 लाख बेरोजगारों से ठगी का मामला सामने आया है। भर्ती विज्ञापन जारी किया गया। ऑनलाइन एप्लीकेशन भरवाई गई। फीस जमा कराई गई और फिर कुछ नहीं हुआ। 14 सितंबर 2018 से अब तक सभी उम्मीदवार मेरिट लिस्ट का इंतजार कर रहे हैं। यदि यही काम कोई प्राइवेट कंपनी करती तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 420 के तहत मामला दर्ज किया जाता है लेकिन यह अपराध मध्य प्रदेश के सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने किया है इसलिए सरकार कोई कार्यवाही नहीं कर रही।
घटनाक्रम क्या है
14 सितंबर 2018 में सहकारिता विभाग में कनिष्ठ विक्रेता (संविदा) पद के लिए MP-Online के माध्यम से आवेदन बुलाये थे। जिसमें लगभग एक लाख आवेदकों ने आवेदन किये थे और पोस्ट केवल 3629 थी जिसमे पूरे मप्र से आवेदकों ने इस भर्ती के लिए आवेदन किये थे। चूँकि इस भर्ती में किसी भी प्रकार की परीक्षा नही होनी थी केवल मेरिट के आधार पर नियुक्ति होनी थी किन्तु विभाग द्वारा आज दिनाँक तक इस भर्ती की मेरिट लिस्ट जारी नही की है। दो साल होने को हैं इस भर्ती की मेरिट लिस्ट का।
या तो मेरिट लिस्ट जारी करो या फिर FIR दर्ज करो
सरकारी नौकरी के इंतजार में हर अन्याय सहन कर रहे मध्य प्रदेश के 1 लाख बेरोजगार पिछले 2 साल से सिर्फ गुहार लगा रहे हैं जबकि यह मामला धोखाधड़ी का है। कनिष्ठ विक्रेता संविदा पद के उम्मीदवार अब तक लामबंद नहीं हुए हैं। वह एक वोट बैंक की तरह नजर नहीं आ रहे हैं। इसलिए सरकार भी उन पर ध्यान नहीं दे रही है लेकिन आप सोशल मीडिया पर यह मुद्दा बार-बार वायरल किया जा रहा है। यदि 25% उम्मीदवार भी लामबंद हो गए तो सरकार के लिए एक और सिरदर्द पैदा हो सकता है।