भोपाल। वचन पत्र के बोझ से दबी कमलनाथ सरकार मार्च 2020 के बाद होने वाले 12000 कर्मचारियों के रिटायरमेंट पर उलझ कर रही है। सरकार किसी भी सूरत में रिटायर होने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट फंड देने के मूड में नहीं है लेकिन मुख्यमंत्री के भरोसेमंद और चतुर नौकरशाह अब तक ऐसा कोई तोड़ नहीं निकाल पाए जो सरकार की मंशा पूरी करता हो।
रिटायर कर्मचारियों को संविदा नियुक्ति का प्लान फेल हो गया
कमलनाथ सरकार के विद्वान सलाहकारों ने रिटायर होने वाले कर्मचारियों को संविदा नियुक्ति देने का प्लान बनाया था। शर्त लगाई थी कि जो कर्मचारी रिटायरमेंट फंड नहीं लेंगे उन कर्मचारियों को संविदा नियुक्ति दी जाएगी लेकिन यह प्लान फेल हो गया। कर्मचारियों ने सरकार के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। रिटायर होने वाले कर्मचारियों के स्वरों की राशि लगभग ₹5000 करोड़ बताई जा रही है। आला अधिकारियों का मानना है कि कर्मचारी इस विकल्प को नहीं चुनेंगे। क्योंकि स्वत्व रोककर संविदा नियुक्ति लेने में उन्हें कोई फायदा नहीं है। यह बात सामने आने के बाद सरकार नए विकल्प तलाश रही है।
कर्मचारी चाहते हैं रिटायरमेंट की आयु सीमा बढ़ा दी जाए
संविदा नियुक्ति के लिए कर्मचारी भी तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि संविदा नियुक्ति के बाद वैसे लाभ नहीं मिलेंगे, जो नियमित नौकरी में मिलते हैं। तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष एलएन कैलासिया बताते हैं कि संविदा नियुक्ति के बाद सालाना वेतनवृद्धि, टीए-डीए, सरकारी गाड़ी और सरकारी मकान का लाभ नहीं मिलेगा।ऐसे में जो कर्मचारी सरकारी मकान में रह रहे हैं, उन्हें वह खाली करना पड़ेगा और अभी तक मिलने वाली गाड़ियां भी छोड़ना पड़ेंगी। फिर कोई क्यों संविदा नियुक्ति लेगा। वे बताते हैं कि सेवानिवृत्ति आयुसीमा बढ़ी तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पदोन्न्ति की उम्मीद भी रहेगी, संविदा में तो यह उम्मीद भी नहीं है।