जबलपुर। मध्यप्रदेश में चुनाव के समय कांग्रेस ने 'बिजली बिल हाफ' करने का वचन दिया था। कमलनाथ सरकार ने बड़ी चतुराई के साथ बिजली के दरों में कुछ इस तरह की कटौती की कि ज्यादातर उपभोक्ताओं को इसका लाभ ना मिल पाए। अब बिजली कंपनियां इस कटौती, बिजली चोरी और बड़े उपभोक्ताओं पर पेंडिंग चल रहे बकाया की वसूली के लिए आम उपभोक्ताओं की जेब काटने की तैयारी कर रही हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिजली कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बिजली के दामों में वृद्धि करने का फैसला किया है। प्रति यूनिट बिजली पर 5.28% की बढ़ोतरी की जाएगी। कंपनियों ने प्रस्ताव बनाकर विद्युत नियामक आयोग के पास भेज दिया है। औपचारिकता के लिए नियामक आयोग ने इस प्रस्ताव पर आपत्तियां आमंत्रित की है।
मध्य प्रदेश में किसानों के लिए बिजली महंगी होगी
बिजली कंपनियां केवल आम उपभोक्ताओं की जेब काटने के मूड में नहीं है बल्कि किसानों को दी जाने वाली बिजली भी नहीं की जाने वाली है। किसानों की बिजली की दर में 6.61% की वृद्धि की जानी है। इसके अलावा नगर निगम को वाटर बॉक्स और स्ट्रीट लाइट के लिए दी जाने वाली बिजली की दरें बढ़ाई जाएंगी।
आकलन पर भारी खर्च
जानकारों का कहना है कि बिजली कंपनी द्वारा 2020-21 का जो आकलन माना गया है वह 39332 करोड़ है, मगर खर्च का आँकड़ा 41332 करोड़ तक पहुँच रहा है जिससे घाटे का अंतर 2000 करोड़ रुपए तक पहुँच जाएगा। इस घाटे को पूरा करने की मंशा से ही बिजली दर में वृद्धि करने का प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें 50 से 100 यूनिट की खपत वाले उपभोक्ताओं पर ज्यादा भार पडऩे की संभावना व्यक्त की जा रही है।
याचिका में सुनवाई का अवसर
बिजली कंपनियों की ओर से पॉवर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा मप्र विद्युत नियामक आयोग के समक्ष याचिका दाखिल की गई है। जिस पर दावा-आपत्ति बुलाने के बाद सुनवाई का अवसर भी प्रदान किया जाएगा। इसके बाद अंतिम रूप से दर तय की जाएगी जो अप्रैल माह से लागू हो सकती है।
बिजली कंपनियां फिक्स चार्ज भी बढ़ाएगी
बताया जाता है कि केवल बिजली दर में ही नहीं, बल्कि फिक्स चार्ज में भी बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव तैयार किया गया है। जो घरेलू उपभोक्ताओं के साथ ही कृषि कनेक्शन में भी लागू होगा। प्रस्ताव में तय किए गए दर के अनुसार इसमें 10 रुपए तक की बढ़ोत्तरी की जा रही है।