अतिथि शिक्षकों को वचन की लिमिट 3 माह थी 5 साल नहीं: मोर्चा | ATITHI SHIKSHAK NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। सत्ता पक्ष के धुरंधर नेताओं की आपसी राजनीति के घनचक्कर में अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण की मांग का निराकरण उलझता हुआ दिखाई दे रहा है। जिससे अतिथि शिक्षक प्राण गंवाकर भी इनकी राजनीति के शिकार हो रहे हैं।

जानकारी के अनुसार भोपाल के शाहजहानी पार्क में अतिथि शिक्षकों का जन सत्याग्रह 55 दिनों से राजधानी के शाहजहांनी पार्क में जारी है। बावजूद इसके कोई ठोस निर्णय लेने के अब तो स्वयं सत्ता पक्ष के  धुरंधर ही अतिथि शिक्षकों की मांगों के निराकरण को लेकर आपस में ही उलझकर इस ओर से ध्यान भटकाने का काम करते नजर आ रहे हैं। हाल ही में टीकमगढ़ में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल शुरू हो गई है। सत्याग्रही अतिथि शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन कर अपनी बात रखने की कोशिश की। जिसमें उन्होंने सकारात्मक जवाब भी दिया है।

बताया गया है,कि अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के अध्यक्ष सुनील परिहार स्वयं ने कुछ दिनों पहले आमरण अनशन कर सरकार का ध्यान चाहा। प्रशासन की  समझाईश के बाद आमरण अनशन स्थिगित कर अब क्रमिक अनशन का सहारा ले लिया गया है।दर्जनों अतिथि शिक्षक रोज क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठ रहे हैं।

अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के संस्थापक पी. डी. खैरवार ने मुख्यमंत्री , मंत्री गोविंद सिंह  एवं ज्योतियादित्य सिंधिया जी के बयान में तर्क देते हुए कहा है,कि सरकार या तो अपना वचन भूल रही है।या तो वचन पूरा करने में सरकार मुकरने लगी है। कमलनाथ जी ने जो बयान दिया है, कि बचन 5 साल के लिए है 5 महीने के लिए नहीं। उस पर उन्होंने कहा कि अतिथि शिक्षकों का दर्द बीजेपी नहीं समझ पाई इसी तरह से निश्चित रूप से शायद कांग्रेस की समझ में भी 13 महीने में नहीं आ पा रहा है। जिसका खामियाजा संपूर्ण शिक्षा जगत भुगत रहा है। लंबे समय से अतिथि शिक्षक स्कूलों में अपनी सेवाएं मन लगाकर देते आ रहे हैं,वह भी डर डर कर। 

क्योंकि नियमितीकरण के लिए कोई ठोस नीति सरकार नहीं बना पा रही है। सरकार अतिथि शिक्षकों के साथ सियासी खेल खेल रही है। सरकार हमारी मांगों को राजनीति की भेंट चढ़ाना चाह रही है। दुनिया जान रही है, कमलनाथ जी का वचन है,कि सरकार 5 साल के लिए बनी है ।वचन पत्र तीन महीने के भीतर पूरा करने के लिए दिए गए हैं ।इस बात को भूल रहे हैं, कि 12 नवंबर 2018 को उन्होंने सरकार बनने के 3 महीने के अंदर नियमित करने का वचन दिया था।वचन पत्र के बिंदु क्रमांक 47.23 और 16.28 में जिसका उल्लेख भी किया गया है।ठोस निर्णय लेना छोड़कर आज वह 5 साल का हवाला दे रहे हैं। 5 साल का हवाला देना सरकार के लिए बेईमानी से कम नहीं है।अभी वर्तमान में ही पिछले 2 दिन से हमारे अतिथि शिक्षक साथियों की लगातार मौतें हुई हैं।इसके पहले दर्जनों अतिथि शिक्षकों की मौतें आर्थिक तंगी से जूझते हुए हो चुकी हैं।

पिछले 2 दिनों में 2 अतिथि शिक्षकों की हुई मौत का कारण स्पष्ट है,कि अतिथि शिक्षक आर्थिक रूप से अत्यधिक परेशान तो चल ही रहे हैं। शारीरिक, सामाजिक और मानसिक रूप से भी जरूरत से ज्यादा तंगी जिंदगी जी रहे हैं। हाल ही में एक अतिथि शिक्षक छतरपुर से सुरेंद्र पटेल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वहीं दूसरा अतिथि शिक्षक राजगढ़ जिले से था जिसका स्कूल से वापस आते वक्त मोटर बाइक से दुर्घटना होने से उनकी मौत हो गई है। सत्याग्रही अतिथि शिक्षकों दिवंगत हो चुके साथियों को श्रद्धांजलि देते शपथ ली है,कि सरकार के द्वारा जारी शोषण से मुक्ति पाने अब जंग अंतिम दम तक जारी रहेगा। उनकी आत्मा को शांति तभी मिलेगी।इसके लिए ईश्वर से प्रार्थना भी की है। 

निश्चित रूप से मानसिक रूप से अतिथि शिक्षक बहुत ही ज्यादा प्रताड़ित हैं।इसके पहले 39 साथी हमारे काल के गाल में समा चुके हैं। कमलनाथ जी तत्काल संज्ञान में लें। हमें जिंदगी बदहाली में जीने को मजबूर अब न करें। कमलनाथ सरकार और उनके जवाबदार मंत्री इस बात पर गहन विचार करे,और अपने बयान जो मनमर्जी से देते आ रहे हैं उसको बदलें अतिथि शिक्षकों‌ को दिये गये वचन की ओर निश्चित रूप से आप का ध्यान आना अत्यंत आवश्यक है।

प्रदेश अध्यक्ष सुनील परिहार ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सरकार को खुली चुनौती दिया है, कि कमलनाथ जी ने जो वचन पत्र दिया है,उसमें 3 महीने की समय सीमा तय है, ना कि 5 साल की। 5 साल की समय सीमा आपने तय किया होता तो अतिथि शिक्षक कांग्रेस पार्टी को वोट ही नहीं देते। अभी भी समय है यदि आपने वचन पत्र का पालन शीघ्र ही नहीं किया ,अतिथि शिक्षकों के हित में 18 फरवरी से पहले निर्णय नहीं लिया गया तो जन सत्याग्रह को और अधिक कठोर राह पर ले चलकर एक एक अतिथि शिक्षक गांव गांव घर घर पहुंचकर आगामी विधानसभा उप चुनावों में कांग्रेस पार्टी का डटकर विरोध करेंगे,इसी तरह स्थानीय निकायों के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों के विरोध में वोट नहीं देने की अपील जन जन से  करेंगे।सरकार को प्रदेश से खदेड़कर अतिथि शिक्षक हितैषी  सरकार बैठाने का काम भी करेंगे।हाल ही में दो विधानसभा क्षेत्रों में होने जा रहे दो उपचुनावों में भी कांग्रेस का  पुरजोर विरोध करने में जी जान से लग जायेंगे।

संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी जगदीश शास्त्री, नवीन शर्मा,अनिता हरचंदानी,अनवार अहमद कुरैशी, सुनील पटैल ने अपील की है,कि 18 फरवरी तक क्रमिक अनशन से सरकार का ध्यान चाहा जायेगा।इसके बाद सरकार की नीतियों के विरोध में गली गली उतरने के लिए विवश हो जायेंगे।

सत्याग्रह के 55 वें दिन पी.डी.खैरवार, बैजनाथ प्रजापति,जगन्नाथ सिंह,शोहेब शेख, दीपक गुर्जर, ब्रजेश कुमार राय,फहीम सरफरोश और देवेंद्र शाक्य ने क्रमिक अनशन पर बैठकर जन सत्याग्रह का नेतृत्व किया।

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