भोपाल। मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना के तहत अध्ययन कर रहे छात्रों के लिए गुड न्यूज़ है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने डिसीजन दिया है कि जिन छात्रों का एडमिशन इस योजना के तहत किया गया था उन्हें योजना का पूरा लाभ देना पड़ेगा फिर चाहे छात्र के परिवार की वार्षिक आय ₹600000 से अधिक क्यों ना हो गई हो। याद दिला दे कि सरकार ने ऐसे सभी छात्रों की स्कॉलरशिप रोक दी थी जिनके परिवार की आय ₹600000 वार्षिक से ज्यादा हो गई थी। कोर्ट ने योजना की जांच में पाया है कि कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि अभिभावकों की आय 6 लाख से अधिक होने पर स्कॉलरशिप रोक दी जाएगी। इसलिए राज्य सरकार नियम व शर्तों के तहत पूरी फीस देने के लिए बाध्य है।
इस मामले में सुनवाई कर जज एसएस धर्माधिकारी और जज विशाल मिश्रा की युगल पीठ ने 60 दिन में छात्र की फीस का रियंर्वसमेंट करने का आदेश दिया है। प्रखर आईआईटी जोधपुर से बीटेक कोर्स करा है। इस काेर्स में प्रखर मुख्यमंत्री मेधावी योजना के तहत ही एडमिशन लिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भी माना है कि छात्र इस योजना का आगे भी लाभ लेने के लिए पात्र है, क्योंकि उसने इसी स्कीम के तहत एडमिशन लिया था। इसलिए उसे भरोसा था कि उसे स्कॉलरशिप मिलेगी। ऐसे में यदि छात्र को प्रवेश के समय कोई वादा किया है तो यह सरकार का दायित्व है कि वह उसे पूरा करे और उस छात्र को पूरे कोर्स की फीस अदा करे।
तीसरे और चौथे सेमेस्टर की फीस का रीएंबर्समेंट करने पर लगा दी रोक
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि आईआईटी जोधपुर में शैक्षणिक सत्र 2017-18 में बीटेक कोर्स के लिए पहले सेमेस्टर के लिए राज्य सरकार ने 1,15,997 रुपए स्वीकृत किए। इसी प्रकार दूसरे सेमेस्टर के 1 लाख रुपए भी स्वीकृत किए गए। इस समय परिवार की आय 5,39,651 रुपए थी, लेकिन तीसरे और चौथे सेमेस्टर के लिए फीस का रीएंबर्समेंट नहीं किया गया। इसका कारण छात्र के अभिभावकों की आय 6 लाख से अधिक होना बताया। इसलिए प्रति सेमेस्टर के हिसाब से 1,25,800 रुपए देने पर रोक लगा दी।
अब राज्य सरकार को 4 फरवरी का आदेश भी बदलना पड़ सकता है
प्रखर गुप्ता के प्रकरण में कोर्ट यह फैसला 4 फरवरी को सुनाया है। इस तारीख में राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री मेधावी योजना को लेकर आदेश जारी कुछ हद तक राहत देते हुए नई शर्त लागू कर दी है। इसके अनुसार ऐसे विद्यार्थियों को जिन्हें योजना में एक बार लाभ प्राप्त होने जाने के बाद शर्तों के अधीन आय सीमा रुपए 6 लाख से 7.50 लाख तक हो गई है, उन्हें फीस का 75 प्रतिशत लाभ प्राप्त हो सकेगा। आय सीमा 7.50 लाख से अधिक होने पर लाभ की पात्रता नहीं होगी। लेकिन, कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि योजना में इस बात का जिक्र नहीं है कि आय बढ़ने पर स्कीम का लाभ देने से रोका जाएगा। इसलिए राज्य सरकार को 7.50 लाख आय की नई सीमा लागू करने और 75 प्रतिशत फीस देने वाले आदेश को भी बदलना पड़ सकता है,क्योंकि कोर्ट ने पूरी फीस देने का आदेश दिया है।